मंगलवार, 21 अप्रैल 2020

अगर तुम ना होते


सोचो
क्या होता
अगर तुम ना होते,
क्या शहर की गलियाँ
वीरान हो जाती
या नुक्कड़ पे जमघट ना होता,
क्या शराब ना होती
या मयखाने बंद हो जाते,
क्या सूरज पश्चिम से निकलता
या नदियाँ सूख जाती,
क्या फूल नहीं खिलते
या पत्ते मुरझा जाते,
क्या कोई नहीं मुस्कुराता
या कोई जश्न नहीं मनाता,
तुम्हारे होने या ना होने से
क्या फर्क पड़ता है,
सब कुछ इसी तरह चलता
सिर्फ तुम ना होते।

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NILESH MATHUR

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