शनिवार, 27 जुलाई 2019
शनिवार, 20 जुलाई 2019
रावण हूँ मैं
अहंकारी हूँ
क्योंकि पुरुष हूँ मैं
सदियों से अहंकारी रहा है पुरुष
और कायम रहेगा ये अहंकार सदा,
रावण से मेरी तुलना
कर सकते हो तुम
कर सकते हो तुम
लेकिन मेरा वध करने के लिए
तुम्हे राम बनना होगा,
और राम बनने का सामर्थ्य
तुममे भी नहीं है
राम तो छोड़ो
हनुमान भी नहीं बन सकते तुम
जो मेरी लंका को जला सके,.
जो मेरी लंका को जला सके,.
मुझ जैसे असंख्य रावण
इस धरा पर हर ओर हैं
इंतज़ार है तो सिर्फ राम का
पता नहीं कब वो आएँगे
और मुझे और मेरे अहंकार को मारेंगे।
पता नहीं कब वो आएँगे
और मुझे और मेरे अहंकार को मारेंगे।
शुक्रवार, 19 जुलाई 2019
जागो उठो
जागो उठो
देखो सवेरा हो गया है
पंछी गा रहे हैं
फूल खिलने लगे हैं,
अँधेरी रात बीत गयी
अब रौशनी में नहा लो
और अंतर के मैल को धो कर
स्वच्छ निर्मल हो जाओ,
अब तैयार हो जाओ
तुम्हारा ही इंतज़ार है
नियति तुम्हारी राह देख रही है
तुम्हे अपनी मंज़िल पर पहुंचना है,
अब समय आ गया है
ये सोचने का
कि तुम क्यों आये थे
और क्या करना है,
बहुत अनमोल है ये जीवन
द्वार पर कोई दस्तक दे रहा है
और तुम चादर ओढ़ कर सोये हो
उठो अब भी समय है,
उन दीवारों को गिरा दो
जिनमे तुम कैद हो
हर उस ज़ंज़ीर को तोड़ दो
जिसमे जकड़े हुए हो,
उठ कर बाहर निकलो
देखो कुछ भव्य सा
तुम्हारी सोच से परे कुछ अद्भुत
तुम्हे दिखाई देगा,
तुम दुखों के सागर में
या फिर क्षणिक आनंद में उलझे हो
वहाँ सर्वत्र सुख ही सुख है
उस भव्यता से
तुम अचंभित रह जाओगे,
अब भी समय है
उठ कर द्वार खोलो और निकल पड़ो
अपने गंतव्य की ओर
जहां जाने के लिए तुम आये
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NILESH MATHUR