ख्वाब देखने मे
और जीने की जद्दोजहद मे
कब बीत गयी ज़िंदगी
पता ही ना चला,
अब वक़्त बहुत कम है
और काम ज्यादा
करने को इतना कुछ बाकी है
कि लेने होंगे कई और जन्म,
उन सब का कर्ज चुकाना है
जिन्होने दिया स्नेह
और दी खुशियाँ
जिन्होने दिया जन्म
और सिखाया चलना
जिन्होने दिखाई राह
और सिखाया जीना
जिन्होने दिया दर्द
और सिखाया रोना,
और हँसना और हँसाना भी तो है
जो कि अब तक मैं नहीं कर पाया।