आज कुछ पुरानी तस्वीरें देख रहा था, बचपन की यादें ताजा हो गयी....
मैं लक्षमण झूले पर |
बर्थडे पार्टी |
आओ लौट चलें बचपन में
फिर से निष्कपट हो जाएँ,
कागज कि कश्ती बनाएं
पानी में बहाएँ,
फिर से निष्कपट हो जाएँ,
कागज कि कश्ती बनाएं
पानी में बहाएँ,
फिर से देखें वो ख्वाब
जिनमे परियां थी
और शहजादे थे
पिता जी कि नसीहत
पिता जी कि नसीहत
और माँ के सपने थे,
आओ लौट चलें बचपन में
जब मैं छोटा बच्चा था |
फिर से बस्ता उठाएं और स्कूल को जाएँ
भुला कर गम मुस्कुराएँ छोटी छोटी खुशियों पर
आओ लौट चलें बचपन में
भुला कर गम मुस्कुराएँ छोटी छोटी खुशियों पर
उत्सव मनाएँ,
आओ लौट चलें बचपन में
फिर से निष्कपट हो जाएँ!