बुधवार, 26 अक्तूबर 2011
रविवार, 23 अक्तूबर 2011
एक आवाज़ "जगजीत सिंह"
वो आवाज़
जो ले जाती थी हमें
भावनाओं के दरिया मे
और देती थी साथ
तन्हाइयों मे,
वो आवाज़
जो ले जाती थी
बचपन मे
और रिश्तों का अर्थ
समझाती थी,
वो आवाज़
जो बंद कमरे मे
बत्तियाँ बुझाकर
सुना करता था मैं,
वो आवाज़
जो एक दिल की
गहराइयों से निकलकर
मेरे दिल की गहराइयों मे
उतर जाती थी,
सचमुच
बहुत सुकून देती थी
वो आवाज़
जगजीत सिंह की आवाज़,
आज कुछ खामोश है मगर
वो आवाज़
यूँ ही गूँजती रहेगी
वादियों मे सदियों तक।
सदस्यता लें
संदेश (Atom)
NILESH MATHUR