अनजान था
दोस्ती से
भावनाओं के जोर से
समाज के उसूलों से,
लेकिन अब....
सीख गया हूँ
मैं भी
दुनियादारी,
किस तरह
पीठ में खंजर
भोंकना है,
या किसी की
भावनाओं से खेलना है,
अब मैं भी
रंगमंच का
दोस्ती से
प्रेम से
अपनत्व से
रिश्तों से
और दुनियादारी से,
अनजान था
खुद अपने आप से
और अपनों से
दोस्तों से
दुश्मनों से,
अनजान था
मैं अपनी सोच के स्तर से
रिश्तों की डोर सेभावनाओं के जोर से
समाज के उसूलों से,
लेकिन अब....
सीख गया हूँ
मैं भी
दुनियादारी,
किस तरह
पीठ में खंजर
भोंकना है,
या किसी की
भावनाओं से खेलना है,
अब मैं भी
रंगमंच का
एक कुशल कलाकार
बन चुका हूँ!