मैं तो हूँ एक अदद इंसान,
जो नहीं चाहता की नालियों में बहे रक्त
किसी हिन्दू या मुसलमान का,
ना ही शामिल हूँ मैं
शैतानों की जमात में
और ना ही
नफरत का सौदागर हूँ मैं,
मैं तो चाहता हूँ
सिर्फ प्रेम और भाईचारा
मुझे तो मंदिर और मस्जिद में भी
कोई फर्क नज़र नहीं आता,
और शायद हर आम आदमी
मुझ जैसा ही है
जो हिन्दू या मुसलमान होने से पहले
एक अदद इंसान है!
एक अदद इंसान है!