बुधवार, 14 दिसंबर 2011

चलो आज फिर से इंसान हो जाएँ



चलो आज फिर से इंसान हो जाएँ
अपने ज़मीर को जिंदा करें
इंसानियत जगाएँ
चलो आज फिर से इंसान हो जाएँ।



9 टिप्‍पणियां:

  1. वाह बहुत खूब .........पर इस पत्थर की बस्ती में इंसान ही तो नहीं बसते है

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  2. nilesh bhaai kis trkib se insaan ko jaanvar kah daala hai or sch bhi yhi hai apil sundar hai ,, akhtar khan akela kota rasjthan

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  3. इंसान होना ही तो भूल गए हैं हम आज, कोई हिंदू है कोई मुसलमान मिलता नहीं ढूंढे से भी कोई इंसान!

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  4. काम मुश्किल ज़रुर है मागे नामुमकिन नहीं ..

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  5. काश आपकी बात अभी अभी सच हो जाए ... और सभी इंसान हो जाएं ... लाजवाब शेर ...

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  6. बहुत सुंदर संकल्प है .....
    शुभकामनायें आपको !

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NILESH MATHUR

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