रविवार, 12 दिसंबर 2021

हथौड़ा और छेनी


हथौड़ा चला, चलता रहा
छेनी भी मचलती रही
चोट पर चोट
माथे से टपकता पसीना,
पर वो हाथ रुकते नहीं
वो हाथ थकते नहीं
जिन्होने थामी है
हथौड़ा और छेनी,
चंद सिक्कों की आस में
अनवरत चलते वो हाथ
आग उगलते सूरज को
ललकारते वो हाथ,
क्या देखा है तुमने
कभी उन हाथों को नजदीक से
जिन हाथों ने
थामा है हथौड़ा और छेनी।

7 टिप्‍पणियां:

  1. जो हाथ हथौड़ा छेनी थाम लेते हैं वो कभी बेरोजगार नहीं रहते ....

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  2. आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 13 दिसम्बर 2021 को साझा की गयी है....
    पाँच लिंकों का आनन्द पर
    आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं

NILESH MATHUR

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