सोमवार, 20 अगस्त 2012

प्रकृति



ये पर्वत ये झरने
ये पेड़ पौधे ये पक्षी
सभी मुझे 
अपने से लगते हैं,
जब नजदीक जाता हूँ इनके
नाम ले ले कर मेरा 
पुकारते हैं सभी 
और स्नेह की वर्षा 
करते हैं मुझ पर 
और मैं भावुक हो कर 
भीगता हूँ इनकी स्नेहवर्षा मे 
जब भी उदास होता हूँ 
तो हवा के झोंके 
थपकियाँ देते हैं 
और सभी पक्षी मिलकर 
मेरे लिए 
खुशियों के गीत गाते हैं 
और तब मैं 
भावविभोर हो उठता हूँ
कृतज्ञ हूँ ईश्वर का 
जिसने हमें 
इतना कुछ दिया जीने को। 

6 टिप्‍पणियां:

NILESH MATHUR

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