शुक्रवार, 15 जुलाई 2011

मेरे हृदय ने कहा है मुझसे...

मेरे ह्रदय ने
कहा  है मुझसे 
कि वो
मेरी संवेदना को
मरने नहीं देगा,
साथ ही उसने
हिदायत दी है मुझे
कि आँखों को समझा दो
व्यर्थ आँसू ना बहाए
और दर्द को
सार्वजनिक ना बनाए,
कानों से कह दो
जब कटु वचन का
प्रहार हो
तब बहरे हो जाएँ,
कदमों को
भटकने ना दो
हाथों को
मत फैलाओ कभी
और होठों पर
मुस्कान सजा लो,
मेरे हृदय ने कहा है मुझसे.....

25 टिप्‍पणियां:

  1. मेरे ह्रदय ने
    कहा है मुझसे
    कि वो
    मेरी संवेदना को
    मरने नहीं देगा,
    साथ ही उसने
    हिदायत दी है मुझे
    कि आँखों को समझा दो
    व्यर्थ आँसू ना बहा.... sahi kaha hai , vyarth kyun rona

    जवाब देंहटाएं
  2. आपकी किसी पोस्ट की चर्चा होगी कल शनिवार (१६ -०७-११)को नयी-पुराणी हलचल पर |कृपया आयें और अपने सुझाव दें....!!

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत ही सुन्दर

    मेरे ब्लॉग पे आप का स्वागत
    http://sarapyar.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  4. और दर्द को
    सार्वजनिक ना बनाए,

    बहुत बहुत बधाई ||

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  5. हृदय तो सदा सद्विचार ही देता है लेकिन हम उसका कहा कितना
    मानते हैं."और दर्द को सार्वजनिक ना बनाये" - टचिंग है.

    जवाब देंहटाएं
  6. आपकी किसी पोस्ट की चर्चा शनिवार (१६-०७-११)को नयी-पुरानी हलचल पर होगी |कृपया आयें और अपने विचार दें |आभार.

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  7. दिल की बात सुने दिलवाला ! बहुत सुंदर भावयुक्त रचना!

    जवाब देंहटाएं
  8. भावमयी खुबसूरत रचना...सुन्दर..

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  9. अक्षरश: सत्‍य कहा है ...बेहतरीन भावों के साथ सशक्‍त रचना ।

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  10. हृदय ने कहा सब कुछ सह लो खुशियाँ फैलाओ ...सुंदर रचना

    जवाब देंहटाएं
  11. कदमों को
    भटकने ना दो
    हाथों को
    मत फैलाओ कभी
    और होठों पर
    मुस्कान सजा लो,
    मेरे हृदय ने कहा है मुझसे.....
    वाह! अद्भुत सुन्दर रचना! कमाल की पंक्तियाँ! शानदार और ज़बरदस्त प्रस्तुती!

    जवाब देंहटाएं
  12. जीवन को सही ढंग से जीने और बिखरने से बचने की प्रेरना देती सुन्दर रचना। शुभकामनायें।

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  13. मेरे ह्रदय ने
    कहा है मुझसे
    कि वो
    मेरी संवेदना को
    मरने नहीं देगा,
    साथ ही उसने
    हिदायत दी है मुझे
    कि आँखों को समझा दो
    व्यर्थ आँसू ना बहा...

    बहुत-बहुत खूबसूरत...

    जवाब देंहटाएं

NILESH MATHUR

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