आज फिर से
उठ रही है
सीने में दर्द की इक लहर,
आज फिर से
आँखें नम हो रही है
और दिल उदास है,
आज फिर से
माथे पर सलवटें है
और चेहरे पर विषाद है,
आज फिर से
मेरी भावनाओं से
खेला जा रहा है,
आज फिर से
मेरे ज़ज्बातों को
कुचला जा रहा है,
आज फिर से
कोई सपना
टूट कर बिखरता जा रहा है,
आज फिर से
मैं खुद से दूर
हुए जा रहा हूँ,
आज फिर से.....
आज फिर से.... गहरी संवेदनाएं व्यक्त की है नीलेश भाई!
जवाब देंहटाएंwah bahut khoob.........
जवाब देंहटाएंखूबसूरत भाव
जवाब देंहटाएंपहले भी ऐसा हुआ था...फिर सब ठीक हो गया, अब भी हो ही जायेगा...
जवाब देंहटाएंसुंदर भाव संयोज समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
जवाब देंहटाएंयादो की अंतहीन अभिवयक्ति.....
जवाब देंहटाएंye kuch to hai jo khud ko khud se door le jaa raha hai ....
जवाब देंहटाएंpar shaayad ye kisi aur ke kareeb bhi laa raha hai ..
Very nice post.....
जवाब देंहटाएंAabhar!
Mere blog pr padhare.
apni yaadon ko bahut hi ghan ta ke saath v bahut hi sundarta ke saath abhivykt kiya hai aapne
जवाब देंहटाएंaabhaar
poonam
कठिनाइयों से लड़ना ही तो जीवन है ...
जवाब देंहटाएंये जद्दोजहद तो चलती ही रहेगी ....बस शिद्दत से डटे रहना है ...!!!
शुभकामनायें ...
टूटना और फिर खुद को सहज लेना ....ये ही जीवन हैं
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भाव.........
जवाब देंहटाएंअनु