सोमवार, 4 जून 2012

आज फिर से




आज फिर से
उठ रही है
सीने में दर्द की इक लहर,


आज फिर से
आँखें नम हो रही है
और दिल उदास है,


आज फिर से
माथे पर सलवटें है
और चेहरे पर विषाद है,


आज फिर से
मेरी भावनाओं से
खेला जा रहा है,


आज फिर से 
मेरे ज़ज्बातों को
कुचला जा रहा है,


आज फिर से
कोई सपना
टूट कर बिखरता जा रहा है,


आज फिर से
मैं खुद से दूर
हुए जा रहा हूँ,


आज फिर से..... 

12 टिप्‍पणियां:

  1. आज फिर से.... गहरी संवेदनाएं व्यक्त की है नीलेश भाई!

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  2. पहले भी ऐसा हुआ था...फिर सब ठीक हो गया, अब भी हो ही जायेगा...

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  3. सुंदर भाव संयोज समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है

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  4. यादो की अंतहीन अभिवयक्ति.....

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  5. ye kuch to hai jo khud ko khud se door le jaa raha hai ....
    par shaayad ye kisi aur ke kareeb bhi laa raha hai ..

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  6. apni yaadon ko bahut hi ghan ta ke saath v bahut hi sundarta ke saath abhivykt kiya hai aapne
    aabhaar
    poonam

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  7. कठिनाइयों से लड़ना ही तो जीवन है ...
    ये जद्दोजहद तो चलती ही रहेगी ....बस शिद्दत से डटे रहना है ...!!!
    शुभकामनायें ...

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  8. टूटना और फिर खुद को सहज लेना ....ये ही जीवन हैं

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NILESH MATHUR

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