रविवार, 22 अप्रैल 2012

अंतिम इच्छा



जिनके चेहरे पर 
हो मुस्कान 
सिर्फ उन्हे ही इजाज़त है 
मेरे जनाजे मे शिरकत की, 
मेरे दोस्तों 
सज धज कर आना 
और हँसते गाते हुए 
उठाना मुझे कंधे पर,
व्यर्थ आँसू मत बहाना 
सिर्फ मुसकुराना, 
मेरे आने पर भी 
मुस्कुराए थे सब 
अब हँसते हुए 
विदा भी करना दोस्तों,  
जिन्हे बहाने हो आँसू
उन्हे इजाज़त नहीं है 
मेरे जनाजे मे 
शिरकत की, 
जिनके चेहरे पर 
हो मुस्कान 
सिर्फ उन्हे ही इजाज़त है 
मेरे जनाजे मे शिरकत की।  

9 टिप्‍पणियां:

  1. वाह ………क्या खूब इच्छा है…………बहुत खूब

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  2. वाह वाह बस वाह है, नहीं आह का काम ।
    सीधी साधी चाह है, निश्चित जब अंजाम ।

    निश्चित जब अंजाम, तयारी पूरी कर लूँ ।
    छपा रखे है कार्ड, सही से तिथि को भर लूँ ।

    पक्का न्यौता मान, मगर निकले न आंसू ।
    मुखड़े पर मुस्कान, जनाजा निकले धांसू ।।

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  3. वाह! क्या बात है.... बहुत अच्छा लगा पढ़कर निलेश भाई...

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  4. bhut sunder .....apni antim itha ka bahut sunder chitran kiya hai.......

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  5. zindadili se labrez .....
    khoobsoorat prastuti ....!!!
    khushdil si aapke blog ki rangat ki tarah ...!!
    shubhkamnayen ....!!

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  6. इस छोटी सी जिंदगी का इतना बड़ा कड़वा सच ....

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NILESH MATHUR

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