आवारा बादल हूँ मैं, कभी यहाँ तो कभी वहाँ, भटकना ही तो फितरत है मेरी.....
बिल्कुल सही कहा..यही तो होता है सबके साथ..बढ़िया शब्द दिये.
सही है रचना ऐसे ही निर्मित होती है ,कभी कलम बन जाती है पतवार और कभी हूँ जाती है लाचार
बिल्कुल सही कहा..यही तो होता है सबके साथ..
जवाब देंहटाएंबढ़िया शब्द दिये.
सही है रचना ऐसे ही निर्मित होती है ,कभी कलम बन जाती है पतवार और कभी हूँ जाती है लाचार
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