गुरुवार, 15 मई 2025

गमले का पौधा

 

गमले में लगा 

पौधा बन गया हूं

ना तो मेरी जड़ें 

ज़मीन को छू पाती हैं 

ना ही मैं आसमान को चूम पाता हूँ ,

चाहता हूं 

कि कोई मुझे

गमले से निकाल कर 

फिर से ज़मीन में लगा दे

ताकी मैं फिर से 

अपनी मिट्टी में मिल जाऊ

और आसमान की उचाईयों को छू पाऊ।

NILESH MATHUR

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