सोमवार, 19 अप्रैल 2010

फूलदान ! (FLOWER POT)

मेरे घर का फूलदान
जिसे मैंने 
नकली फूलों से सजाया है,


अक्सर मुझे 
तिरछी नज़रों से देखता है,


मानो कह रहा हो....
कि तुम भी 
इन्ही फूलों जैसे हो
जो ना तो खुश्बू देते है 
और ना ही 
जिनकी जड़ें होती है !

9 टिप्‍पणियां:

  1. कितनी गहरी और सच्ची बात है...बहुत बेहतरीन लिखा है अपने

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  2. गहरे अर्थ लिये हुई कविता..."

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  3. मानो कह रहा हो....
    कि तुम भी
    इन्ही फूलों जैसे हो
    जो ना तो खुश्बू देते है
    और ना ही
    जिनकी जड़ें होती है !



    bahut khub




    shekhar kumawat

    http://kavyawani.blogspot.com/

    जवाब देंहटाएं
  4. किस खूबसूरती से लिखा है आपने। मुँह से वाह निकल गया पढते ही।

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  5. गहन अभिव्यक्ति..क्या बात है.

    जवाब देंहटाएं
  6. मानो कह रहा हो....
    कि तुम भी
    इन्ही फूलों जैसे हो
    जो ना तो खुश्बू देते है
    और ना ही
    जिनकी जड़ें होती है !
    bahut gahri baat kah daali in phoolon ke madhyam se .sundar ati sundar .

    जवाब देंहटाएं

NILESH MATHUR

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