आवारा बादल हूँ मैं, कभी यहाँ तो कभी वहाँ, भटकना ही तो फितरत है मेरी.....
कितनी गहरी और सच्ची बात है...बहुत बेहतरीन लिखा है अपने
गहरे अर्थ लिये हुई कविता..."
मानो कह रहा हो....कि तुम भी इन्ही फूलों जैसे होजो ना तो खुश्बू देते है और ना ही जिनकी जड़ें होती है ! bahut khub shekhar kumawat http://kavyawani.blogspot.com/
बहुत तीखा व्यंग किया आपने !!!!
...बहुत बेहतरीन लिखा है अपने
किस खूबसूरती से लिखा है आपने। मुँह से वाह निकल गया पढते ही।
गहन अभिव्यक्ति..क्या बात है.
मानो कह रहा हो....कि तुम भी इन्ही फूलों जैसे होजो ना तो खुश्बू देते है और ना ही जिनकी जड़ें होती है ! bahut gahri baat kah daali in phoolon ke madhyam se .sundar ati sundar .
गहरी बात कह दी । अति सुन्दर
कितनी गहरी और सच्ची बात है...बहुत बेहतरीन लिखा है अपने
जवाब देंहटाएंगहरे अर्थ लिये हुई कविता..."
जवाब देंहटाएंमानो कह रहा हो....
जवाब देंहटाएंकि तुम भी
इन्ही फूलों जैसे हो
जो ना तो खुश्बू देते है
और ना ही
जिनकी जड़ें होती है !
bahut khub
shekhar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com/
बहुत तीखा व्यंग किया आपने !!!!
जवाब देंहटाएं...बहुत बेहतरीन लिखा है अपने
जवाब देंहटाएंकिस खूबसूरती से लिखा है आपने। मुँह से वाह निकल गया पढते ही।
जवाब देंहटाएंगहन अभिव्यक्ति..क्या बात है.
जवाब देंहटाएंमानो कह रहा हो....
जवाब देंहटाएंकि तुम भी
इन्ही फूलों जैसे हो
जो ना तो खुश्बू देते है
और ना ही
जिनकी जड़ें होती है !
bahut gahri baat kah daali in phoolon ke madhyam se .sundar ati sundar .
गहरी बात कह दी । अति सुन्दर
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