आवारा बादल हूँ मैं, कभी यहाँ तो कभी वहाँ, भटकना ही तो फितरत है मेरी.....
मुझे भी इंसान बनना है! goodbahut sundarwow !!!!!!!!!!shekhar kumawathttp://kavyawani.blogspot.com/
लाजवाब पंक्तियाँ
क्या बात कह दी साहब.. बहुत ही उम्दा!
sunder abhivykti.
kya baat hai...chhoti magar lajawab rachna....
नीलेश जी , कमाल कर दिया । अपने को इंसान समझने वाले ? नही समझेंगे । अपनी 1978 मे लिखी रचना याद आ गयी -हम एक इंसान हैं ।इसलिए परेशान हैं ।चूँकि आप गिद्ध हैं ।इसलिए प्रसिद्ध हैं ।
kam shabdo me bahut gehri baat kahi hai aapne... koi insaan banna to skiha sakta hume.. kaash!
मुझे भी इंसान बनना है!
जवाब देंहटाएंgood
bahut sundar
wow !!!!!!!!!!
shekhar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com/
लाजवाब पंक्तियाँ
जवाब देंहटाएंक्या बात कह दी साहब.. बहुत ही उम्दा!
जवाब देंहटाएंsunder abhivykti.
जवाब देंहटाएंkya baat hai...
जवाब देंहटाएंchhoti magar lajawab rachna....
नीलेश जी , कमाल कर दिया । अपने को इंसान समझने वाले ? नही समझेंगे । अपनी 1978 मे लिखी रचना याद आ गयी -
जवाब देंहटाएंहम एक इंसान हैं ।
इसलिए परेशान हैं ।
चूँकि आप गिद्ध हैं ।
इसलिए प्रसिद्ध हैं ।
kam shabdo me bahut gehri baat kahi hai aapne... koi insaan banna to skiha sakta hume.. kaash!
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