शनिवार, 30 जुलाई 2011

बचपन



आज कुछ पुरानी तस्वीरें देख रहा था, बचपन की यादें ताजा हो गयी....

मैं लक्षमण झूले पर 
बर्थडे पार्टी 
आओ लौट चलें बचपन में
फिर से निष्कपट हो जाएँ,
कागज कि कश्ती बनाएं
पानी में बहाएँ,





फिर से देखें वो ख्वाब 
जिनमे परियां थी
और शहजादे थे  
पिता जी कि नसीहत 
और माँ के सपने थे,



आओ लौट चलें बचपन में 
जब मैं छोटा बच्चा था 
फिर से बस्ता उठाएं और स्कूल को जाएँ
भुला कर गम मुस्कुराएँ                                                                                                                   छोटी छोटी खुशियों पर 
उत्सव मनाएँ,




आओ लौट चलें बचपन में
फिर से निष्कपट हो जाएँ!

गुरुवार, 28 जुलाई 2011

वक़्त मिले तो देखना मुझे


ढलते हुए सूरज की 
किरण हूँ मैं
शाम को वक़्त मिले तो 
देखना मुझे !

शुक्रवार, 15 जुलाई 2011

मेरे हृदय ने कहा है मुझसे...

मेरे ह्रदय ने
कहा  है मुझसे 
कि वो
मेरी संवेदना को
मरने नहीं देगा,
साथ ही उसने
हिदायत दी है मुझे
कि आँखों को समझा दो
व्यर्थ आँसू ना बहाए
और दर्द को
सार्वजनिक ना बनाए,
कानों से कह दो
जब कटु वचन का
प्रहार हो
तब बहरे हो जाएँ,
कदमों को
भटकने ना दो
हाथों को
मत फैलाओ कभी
और होठों पर
मुस्कान सजा लो,
मेरे हृदय ने कहा है मुझसे.....

रविवार, 10 जुलाई 2011

मौन के साम्राज्य में


आओ चलें 
इस भीड़ से दूर कहीं
जहाँ मौन मुखरित हो
और शब्द निष्प्राण,
अपने चेहरे से
मुखौटे को उतार कर
अपने ह्रदय से पूछें 
कुछ अनुत्तरित प्रश्न,
झाड़ कर
वर्षों से जमी धूल
धुले हुए वस्त्र पहनें  
और बैठ कर
मौन के आगोश में
परम सत्य की
खोज करें,
आओ चलें
मौन के साम्राज्य में
जहाँ शब्दहीन ज्ञान 
प्रतीक्षारत है! 

सोमवार, 4 जुलाई 2011

खो गया है चाँद


सितारे हैं परेशान
ना जाने कहाँ 
खो गया है चाँद
हवाओं से कह दो
उड़ा कर ले जाये 
इन बादलों को 
और कहीं
ये जरूर बादलों की
शरारत है!
 

NILESH MATHUR

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