आज सन्डे !
हर रोज रफ़्तार से
चलती है ज़िन्दगी,
आज छुट्टी का ये दिन
बहुत आलस में बिताना है
आफिस कि आज
कोई परेशानी नहीं,
कहीं बम फूटे या
दौड़े पुलिस
हर रोज़ कोई करे
किसी के खिलाफ साजिश,
जनता को नेता जी ने
किया हाफिज़
और ज़नता
लोडशेडिंग में बद्दुआ देते हुए
ढूंढे माचिश,
किचन में कबाब तंदूरी या बिरयानी
कहीं नहीं जाना आज
दीमापुर, हाफलांग या मरियानी,
घर में रहकर आज
दिखाऊ कप्तानी
बीवी से करूँ आज
छेड़ छाड और शैतानी,
दिल में आज लहरा चुके
प्यार के झंडे
शराब के साथ खाऊ
अदरक, चिप्स और अंडे,
बाहर में बहुत बारिश, हवा और ठण्ड
कोई मर गया! छोड़ यार
आज सन्डे !
निलेश जी बहुत अच्छा अनुवाद किया आपने ....कमोबेश ९० प्रतिशत ....कहीं कहीं ....जो गुंजाईश रह गयी ....वो भी इस वजह से कि अनुवाद के वक़्त उसे पकड़ पाना बहुत कठिन होता है ...यह सिर्फ पाठक ही पकड़ पता है ....कई बार कविता के सौन्दर्य के लिए एक आध शब्द अपना भी जोड़ दें तो हर्ज़ नहीं होता ....मूल भाव में अंतर नहीं होना चाहिए ..... देखिये ये पंक्तियाँ ......
जवाब देंहटाएंबाहर में बहुत बारिश, हवा और ठण्ड
कोई मर गया! छोड़ यार
आज सन्डे !
बाहर कहीं बहुत तेज
हवाएं और बारिश है
कहीं कोई मर गया शायद
छोड़ यार .....
हमें क्या ....
आज सन्डे है ....!!
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएं