आज फिर तुम्हारी याद आई
आँखें कुछ नम हुई
और विगत स्मृतियों ने
बहुत रुलाया,
ख्यालों ही ख्यालों में
सोचता हूँ
कि तुमसे जब मुलाकात होगी
तो बहुत सी बातें कहूँगा
कुछ शिकवे कुछ शिकायत करूँगा,
तुम्हारे अंतर कि वेदना को
यूँ बातों ही बातों में मिटा दूंगा
और तुम्हारी राहों में
खुशियाँ बिछा दूंगा,
पर ख्यालों कि ये दुनिया
बड़ी बेरहमी से मुझे
यथार्थ के धरातल पर ले आती है
और ये अहसास कराती है
कि तुम जहाँ जा चुके हो
वहां से कोई लौट कर नहीं आता
सिर्फ यादें ही आती है
और सताती है बार बार !
और सताती है बार बार !
जवाब देंहटाएंor hame satati he aap ki ye pyari pyari kavitayen
shekhar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com/
आज फिर तुम्हारी याद आई
जवाब देंहटाएंआँखें कुछ नाम हुई
-नाम हुईं को नम हुईं कर लें..बढ़िया रचना.
कि तुम जहाँ जा चुके हो
जवाब देंहटाएंवहां से कोई लौट कर नहीं आता
सिर्फ यादें ही आती है
और सताती है बार बार !
खासकर इन पंक्तियों ने रचना को एक अलग ही ऊँचाइयों पर पहुंचा दिया है शब्द नहीं हैं इनकी तारीफ के लिए मेरे पास...बहुत सुन्दर..
मन पर अंकित हो जानेवाली वेदना!
जवाब देंहटाएं--
मेरे मन को भाई : ख़ुशियों की बरसात!
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संपादक : सरस पायस
पर ख्यालों कि ये दुनिया
जवाब देंहटाएंबड़ी बेरहमी से मुझे
यथार्थ के धरातल पर ले आती है
और ये अहसास कराती है
कि तुम जहाँ जा चुके हो
वहां से कोई लौट कर नहीं आता
सिर्फ यादें ही आती है
और सताती है बार बार !
Yatharth ka dharatak kator hota hai, wahi sachhe prem ke mayane samjhta hai jo yatharth ko samjhta hai...
Manobhawon ki sundar chitrmay prastuti ke liye shubhkamnayne...
तुम वही जा चुके हो जहां से कोई लौट कर नही आता इस लाइन मे बहुत दर्द भरा है कल ही मै एक गज़ल सुन रहा था ""ज़िन्दा रहे तो किसकी खातिर, होश मे आयें किसके लिये /जाने वाले फ़िर नही आते ,शमअ जलायें किसके लिये "आपकी रचना बहुत उत्तम है
जवाब देंहटाएंतुम्हारे अंतर कि वेदना को
जवाब देंहटाएंयूँ बातों ही बातों में मिटा दूंगा
और तुम्हारी राहों में
खुशियाँ बिछा दूंगा,
पर ख्यालों कि ये दुनिया
बड़ी बेरहमी से मुझे
यथार्थ के धरातल पर ले आती है
और ये अहसास कराती है
कि तुम जहाँ जा चुके हो
वहां से कोई लौट कर नहीं आता
सिर्फ यादें ही आती है
और सताती है बार बार !
bahut hi khoobsurat ,dil ko chhoo gayi .
बहुत खूब माथुर जी .....!!
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