गुरुवार, 16 दिसंबर 2021

जिनकी झुकी हुई है रीढ़

 


वो बहाते हैं पसीना

तुम्हारे लिए,
धूप से पका हुआ
उनकी देह का रंग
हाथो के छाले
सब तुम्हारे लिए,
वो झुकी हुई रीढ़
चेहरे की सलवटें
वो जलता बदन
सब तुम्हारे लिए,
वो खड़ा है
हाथ जोड़े हर जगह
तुम्हारे लिए,
अब देखना ये है
कि उनकी क्या अहमियत है
तुम्हारे लिए,
क्या तुम्हारी नज़रों में
ज़रा सा भी सम्मान है
उनके लिए,
जिनकी झुकी हुई है
रीढ़ तुम्हारे लिए।

2 टिप्‍पणियां:

  1. ये मजदूर जो दूसरों के घर सजाते हैं अपने कपड़े भी गंदे कर लेते हैं, उनके हाथ भी कितने रूखे हो जाते होंगे, पेंट छुड़ाते-छुड़ाते. इस दुनिया में हजारों पेशे करने वाले लोगों का समाज है, कठोर श्रम वाला काम भी और बढ़िया से बढ़िया आरामदायक भी, लेकिन हर काम की जरूरत तो है ही. उनका ध्यान रखना समाज का कर्तव्य है

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NILESH MATHUR

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