गुरुवार, 14 मई 2020

क्या कहा सच बोलूँ?


क्या कहा सच बोलूँ
या मन की आँखे खोलूँ?
क्या हँसी खेल है सच बोलना
जो मैं सच बोलूँ,
मैने भी
बोला था सच कभी
जो कुचला गया
झूठ के पैरों तले,
अब मैं
सच बोलने की
हिमाकत करता नहीं
और किसी से
सच बोलने को कहता नहीं।

रविवार, 10 मई 2020

माँ


हे ईश्वर
माँ के बालों की सफेदी
मुझे अच्छी नहीं लगती,
उसके चेहरे की
झुर्रियाँ मिटा दे,
उसका हर ग़म
दे दे मुझे,
उसके चेहरे पे
मुस्कुराहट सजा दे,
उस के चेहरे में
ज़न्नत नज़र आती है मुझे
उसी के कदमों में है
मेरा जहाँ,
उसी की वजह से
मेरा वज़ूद
मैं जो कुछ भी हूँ
वो उसी की दुआ।

NILESH MATHUR

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