आवारा बादल
आवारा बादल हूँ मैं, कभी यहाँ तो कभी वहाँ, भटकना ही तो फितरत है मेरी.....
शनिवार, 21 जनवरी 2012
वनवास
ध्यान, साधना, सत्संग
से कोसों दूर
कंक्रीट के जंगल में
सांसारिक वासनाओं
और अहंकार तले
आध्यात्म रहित वनवास
भोग रहा हूँ इन दिनों,
मैं फिर से लौट कर आऊँगा
जानता हूँ की तुम मुझे
माफ करोगे
और सहर्ष स्वीकार भी करोगे।
शनिवार, 14 जनवरी 2012
सूर्य की पहली किरण
वो
सूर्य की पहली किरण बन
मेरे घर के आँगन में आए
और जाड़े की एक ठंडी सुबह
मुझे जी भर के
अपनी किरणों से नहलाया ,
और मैं
सुनहरी किरणों के
सौन्दर्य से सराबोर हो कर
फूलों की तरह खिल उठा
और शायद अब
इन्ही फूलों की तरह
महकता रहूँगा एक सदी तक ।
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