1.
गंगा में डुबकी लगाई
पापों से मुक्ति पायी ,
फिर शुरू होंगे
नए सिरे से अनवरत पाप!
2.
हर कि पौडी
हर लेती हर पाप
और हम
फिर से तरोताजा
और
पाप करने को !
3.
खुदा की इबादत भी
कर के देख चुका
मैं
पर मेरी
दुश्वारियों की ज़िद
शुभानअल्लाह !
4.
जब
हताश हो उठता है मन
तो बेजान
पत्थरों में
नज़र आती है उम्मीद कि किरण
और फिर पूजने
लगते हैं
पत्थरों को देवता बनाकर!