मंगलवार, 20 सितंबर 2011

वक़्त बहुत कम है



ख्वाब देखने मे 
और जीने की जद्दोजहद मे 
कब बीत गयी ज़िंदगी 
पता ही ना चला,


अब वक़्त बहुत कम है 
और काम ज्यादा 
करने को इतना कुछ बाकी है 
कि लेने होंगे कई और जन्म,


उन सब का कर्ज चुकाना है 
जिन्होने दिया स्नेह
और दी खुशियाँ 
जिन्होने दिया जन्म
और सिखाया चलना 
जिन्होने दिखाई राह 
और सिखाया जीना  
जिन्होने दिया दर्द 
और सिखाया रोना,


और हँसना और हँसाना भी तो है 
जो कि अब तक मैं नहीं कर पाया।

13 टिप्‍पणियां:

  1. सच कहा मगर फिर भी
    वक्त से ही वक्त चुराना होगा
    हर चाह को आसमां दिखाना होगा

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  2. बहुत काम है सामने, धरे हाथ पे हाथ |
    एक एक कर के निबट, रख के ठंडा माथ ||

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  3. वक़्त बहुत है खुल के हंसिये ,
    क्या पता कल को इस्पे भी टैक्स लग जाये
    ------------------------
    मेरे ब्लॉग पे आपका स्वागत है
    ड्रैकुला को खून चाहिए, कृपया डोनेट करिये !! - पार्ट 1

    जवाब देंहटाएं
  4. जीवन की सच्चाई का बहुत सटीक चित्रण..

    जवाब देंहटाएं
  5. ut satic aur saarthak baat kahi aapne apni rachanaa main /bahut badhaai aapko /

    meri nai post per aapka swagat hai .


    www.prernaargal.blogspot.com

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  6. और हँसना और हँसाना भी तो है
    जो कि अब तक मैं नहीं कर पाया...बहुत ही खुबसूरत....

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  7. ख्वाब देखने मे
    और जीने की जद्दोजहद मे
    कब बीत गयी ज़िंदगी
    पता ही ना चला,
    ... sach mein badi tez raftaar hai zindagi kee , yaa phir hum apne khwaabon mein uljhe rahe

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  8. वाकई काम बहुत ज्यादा और वक्त कम है , याद दिलाने के लिए आभार भैया !
    शुभकामनायें आपको !

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  9. ख्वाब देखने मे
    और जीने की जद्दोजहद मे
    कब बीत गयी ज़िंदगी
    पता ही ना चला,...सही कहा.. जीवन कब बीत जाती है पता भी नही चलता...सुन्दर अभिव्यक्ति !

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  10. वक्त कम है और कम है ज्यादा ...पूरा पूरा जीने की लालसा । बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ।

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  11. बिल्‍कुल सच कहा है आपने ... ।

    जवाब देंहटाएं

NILESH MATHUR

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