आवारा बादल हूँ मैं, कभी यहाँ तो कभी वहाँ, भटकना ही तो फितरत है मेरी.....
sunder bhavabhivyakti.
khoobsurat shokh ehsaas
बादल भी मचलता हैचांद को अपनीआगोश में लेने के लिएइस लिए वो ये ज़ुरत कर बैठा
वा वाह ...वा वाह !शुभकामनायें नीलेश !
बेहतरीन.--------कल 06/07/2011 को आपकी एक पोस्ट नयी-पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!
वाह बहुत सुन्दर ..
वाह, नीलेश...क्या बात है.
वाह...बहुत कमाल की छोटी सी रचना है आपकी...गागर में सागर जैसी...बधाईनीरज
ये बादल की ही शरारत है ... बहुत खूब ...
chand chhupa badal mai...
शरारती बादल ढांप लेता है चाँद को पर...नही ठहरता चाँद उसकी बाहों में.मचल कर बाहर निकल आता है माँ के आंचल से ज्यूँ नन्हा बालक. और देखता है बाहर की दुनिया. बादलों का चाँद को छुपा लेना नई बात नही.होता रहा है होता रहेगा.
achhi shrarat hai
sunder bhavabhivyakti.
जवाब देंहटाएंkhoobsurat shokh ehsaas
जवाब देंहटाएंबादल भी मचलता है
जवाब देंहटाएंचांद को अपनी
आगोश में लेने के लिए
इस लिए वो ये ज़ुरत कर बैठा
वा वाह ...वा वाह !
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें नीलेश !
बेहतरीन.
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कल 06/07/2011 को आपकी एक पोस्ट नयी-पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
वाह बहुत सुन्दर ..
जवाब देंहटाएंवाह, नीलेश...क्या बात है.
जवाब देंहटाएंवाह...बहुत कमाल की छोटी सी रचना है आपकी...गागर में सागर जैसी...बधाई
जवाब देंहटाएंनीरज
ये बादल की ही शरारत है ... बहुत खूब ...
जवाब देंहटाएंchand chhupa badal mai...
जवाब देंहटाएंशरारती बादल ढांप लेता है चाँद को पर...नही ठहरता चाँद उसकी बाहों में.मचल कर बाहर निकल आता है माँ के आंचल से ज्यूँ नन्हा बालक. और देखता है बाहर की दुनिया. बादलों का चाँद को छुपा लेना नई बात नही.होता रहा है होता रहेगा.
जवाब देंहटाएंachhi shrarat hai
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