शनिवार, 30 जुलाई 2011

बचपन



आज कुछ पुरानी तस्वीरें देख रहा था, बचपन की यादें ताजा हो गयी....

मैं लक्षमण झूले पर 
बर्थडे पार्टी 
आओ लौट चलें बचपन में
फिर से निष्कपट हो जाएँ,
कागज कि कश्ती बनाएं
पानी में बहाएँ,





फिर से देखें वो ख्वाब 
जिनमे परियां थी
और शहजादे थे  
पिता जी कि नसीहत 
और माँ के सपने थे,



आओ लौट चलें बचपन में 
जब मैं छोटा बच्चा था 
फिर से बस्ता उठाएं और स्कूल को जाएँ
भुला कर गम मुस्कुराएँ                                                                                                                   छोटी छोटी खुशियों पर 
उत्सव मनाएँ,




आओ लौट चलें बचपन में
फिर से निष्कपट हो जाएँ!

11 टिप्‍पणियां:

  1. बीती यादें बचपन की ...
    बहुत सुंदर ...

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  2. बचपन के फोटो और विवरण अच्छे लगे ।

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  3. sari tasweeren bahut achhi lagin aur chahat antatah yahi ... kitna achha ho hum milker ek programme banayen , aur bachpan ko sunayen aur bebaki se hanse

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  4. बचपन के दिन भुला न देना , बहुत खूब अच्छे फोटो ...

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  5. बीते हुए लम्हों की कसक आज भी है....

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  6. फिर से निष्कपट हो जाएँ! :)

    सच में बचपन तो बचपन ही है.... आपकी पोस्ट सभी को अपने बचपन में ले जाएगी...

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  7. अच्छे फोटो ...बीती यादें बचपन की ..बहुत सुन्दर

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  8. बचपन के दिन भी क्या दिन .....सुन्दर चित्रों के साथ सुन्दर भाव....

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  9. बचपन के ये प्‍यारे पल ताउम्र साथ रहते हैं ...बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति ।

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NILESH MATHUR

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