आवारा बादल हूँ मैं, कभी यहाँ तो कभी वहाँ, भटकना ही तो फितरत है मेरी.....
वाह ...बहुत खूब ।
बहुत बढ़िया सर । सादर
very nice:)
bahut sundar
ati sundar !
सुन्दर भाव
बहुत खूब!
दो लाइन बहुत कुछ कहती हैं ....शुभकामनायें !
bahut badiya prastuti..
कम लफ्जों में बहुत प्यारी बात कह दी। बधाई।------35 किलो का मोबाइल!चोंच में आकाश समा लेने की जिद..
दुनिया उगते हुए सूरज को सलाम करती है भाई ढलते हुए सूरज के लिए वक्त नहीं है लोगों के पास कहते हैं न "सफलता के सौ बाप होते हैं,पर असफलता अनाथ होती है"।वक्त शब्द का खुसुरत प्रयोग सुन्दर प्रस्तुति।
are waah....
नीलेश जी कैसे हैं ? सब कुशल-मंगल तो है न !ढलते हुए सूरज की किरण हूं मैंशाम को वक़्त मिले तो देखना मुझे ! अच्छे ख़यालात हैं … सुंदर !मेरी ग़ज़ल के दो शे'र आपके लिए - ख़ौफ़ मेरी आंच से नाहक़ ही क्यों राजेन्द्र हैशाम का सूरज हूं , थोड़ी देर में ढल जाऊंगा मोम हूं , यूं ही पिघलते' एक दिन गल जाऊंगा फिर भी शायद मैं कहीं जलता हुआ रह जाऊंगा अगर इसे पूरा पढ़ना-सुनना चाहें तो यह रहा लिंकशाम का सूरज हूं हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं ! -राजेन्द्र स्वर्णकार
beautiful expression.
bahut khub
गागर में सागर !
bhaut khub...
बहुत खूब .....!!अपनी १०,१२ क्षणिकाएं भेज दीजियेसंक्षिप्त परिचय और चित्र के साथ ......
sabhi rachnayein bahut hi sunder ...........
वाह ...बहुत खूब ।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया सर ।
जवाब देंहटाएंसादर
very nice:)
जवाब देंहटाएंbahut sundar
जवाब देंहटाएंati sundar !
जवाब देंहटाएंसुन्दर भाव
जवाब देंहटाएंबहुत खूब!
जवाब देंहटाएंदो लाइन बहुत कुछ कहती हैं ....
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें !
bahut badiya prastuti..
जवाब देंहटाएंकम लफ्जों में बहुत प्यारी बात कह दी। बधाई।
जवाब देंहटाएं------
35 किलो का मोबाइल!
चोंच में आकाश समा लेने की जिद..
दुनिया उगते हुए सूरज को सलाम करती है भाई
जवाब देंहटाएंढलते हुए सूरज के लिए वक्त नहीं है लोगों के पास
कहते हैं न "सफलता के सौ बाप होते हैं,पर असफलता
अनाथ होती है"।वक्त शब्द का खुसुरत प्रयोग
सुन्दर प्रस्तुति।
are waah....
जवाब देंहटाएंनीलेश जी
जवाब देंहटाएंकैसे हैं ? सब कुशल-मंगल तो है न !
ढलते हुए सूरज की
किरण हूं मैं
शाम को वक़्त मिले तो
देखना मुझे !
अच्छे ख़यालात हैं … सुंदर !
मेरी ग़ज़ल के दो शे'र आपके लिए -
ख़ौफ़ मेरी आंच से नाहक़ ही क्यों राजेन्द्र है
शाम का सूरज हूं , थोड़ी देर में ढल जाऊंगा
मोम हूं , यूं ही पिघलते' एक दिन गल जाऊंगा
फिर भी शायद मैं कहीं जलता हुआ रह जाऊंगा
अगर इसे पूरा पढ़ना-सुनना चाहें तो यह रहा लिंक
शाम का सूरज हूं
हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !
-राजेन्द्र स्वर्णकार
beautiful expression.
जवाब देंहटाएंbahut khub
जवाब देंहटाएंगागर में सागर !
जवाब देंहटाएंbhaut khub...
जवाब देंहटाएंबहुत खूब .....!!
जवाब देंहटाएंअपनी १०,१२ क्षणिकाएं भेज दीजिये
संक्षिप्त परिचय और चित्र के साथ ......
sabhi rachnayein bahut hi sunder ...........
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