तुम हो सागर तट
तुम
सागर तट हो
मैं हूँ इक लहर,
मेरी
नियति है
तुम्हारी बाहों में समाना
आ कर तुम में
मिल जाना,
मैं
इक लहर
समर्पण करती हूँ
अपना अस्तित्व तुमको
तुम ही दोगे
मेरे अस्तित्व को
पहचान,
मैं तो यूँ ही
मिटाती रहूंगी
अपना अस्तित्व
तुम्हारी बाहों में
सदियों तक!
कही यह मिट जाना आभासी तो नहीं ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति , बधाई
जवाब देंहटाएंगुरु कहते हैं हम से सीखो...उसे जीवन में अपनाओ...हम में समाओ मत...
जवाब देंहटाएंनीरज
@नीरज जी, धन्यवाद्, मैं समर्पण की बात कर रहा हूँ, जब तक हम गुरु के प्रति पूर्ण रूप से समर्पित नहीं होंगे तब तक सीखना मुश्किल होता है, यहाँ समाने से मेरा मतलब समर्पण ही है! आभार!
जवाब देंहटाएंbahut sunder....
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर भावपूर्ण कविता ! शुभकामनाएँ !
जवाब देंहटाएंमैं
जवाब देंहटाएंइक लहर
समर्पण करती हूँ
अपना अस्तित्व तुमको
तुम ही दोगे
मेरे अस्तित्व को
पहचान,
बहुत सुंदर भावपूर्ण कविता ! शुभकामनाएँ
बिना समर्पण गुरु को पाना मुमकिन नहीं ..... हर भाव समर्पित हो तभी प्रभु की ज्ञान ज्योति गुरु देते हैं .... निलेश जी बहुत अच्छा लगा, पृष्ठ खुलते शरीर में एक बिजली सी कौंध गई
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच से आपके ब्लॉग पर आना हुआ.
जवाब देंहटाएंसुन्दर भाव, अनुपम प्रस्तुति
बहुत बहुत आभार.
मेरे ब्लॉग पर आईयेगा,आपका हार्दिक स्वागत है.
बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति ....!!
जवाब देंहटाएंतुम ही दोगे
जवाब देंहटाएंमेरे अस्तित्व को
पहचान,
बहुत सुंदर भावपूर्ण कविता ! शुभकामनाएँ
इक लहर
जवाब देंहटाएंसमर्पण करती हूँ
अपना अस्तित्व तुमको
तुम ही दोगे
मेरे अस्तित्व को
पहचान,
मैं तो यूँ ही
मिटाती रहूंगी
अपना अस्तित्व
तुम्हारी बाहों में
सदियों तक!bahut hi pyaari gaharai lee hui rachanaa.bemisaal.badhaai aapko.
plese visit my blog and leave the comments also.aabhaar
सुन्दर अभिव्यक्ति ……. धन्यवाद
जवाब देंहटाएंbeautiful posts.
जवाब देंहटाएंI have read few.keep posting !!!
तुम
जवाब देंहटाएंसागर तट हो
मैं हूँ इक लहर,
मेरी
नियति है
तुम्हारी बाहों में समाना
आ कर तुम में
मिल जाना,
इस सुन्दर कविता हेतु आपको बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं
लहरों का ये क्रम .. हमेशा चलता रहेगा ... मिटना ही तो जीवन है ...
जवाब देंहटाएं"अपना अस्तित्व
जवाब देंहटाएंतुम्हारी बाहों में
सदियों तक!"
जय गुरुदेव !!!
न इससे ज्यादा कुछ चाहिए,
न इससे कम...
सुन्दर अभिव्यक्ति..!!
***punam***
bas yun...hi..
शायद आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज बुधवार के चर्चा मंच पर भी हो!
जवाब देंहटाएंसूचनार्थ