रविवार, 8 मई 2011

माँ की आदत है सपने देखना


माँ सपने देखती है
बार बार टूटते हैं 
बिखरते हैं सपने
पर माँ की आदत है सपने देखना,

बिखरे हुए सपनो को समेटना 
टूटे हुए सपनो को जोड़ना,

माँ सपने बुनती है
सपनो को ओढ़कर सोती है

नौ महीने तक 
पलता है एक सपना 
उसकी कोख में

और वो
उस सपने को पलकों में लिए 
तय करती है 
लंबा और कठिन सफ़र 

एक दिन जब 
वो सपना 
बीसवीं मंजिल पर पहुच कर 
धकेल देता है माँ को 

तब भी माँ 
सपने देखना नहीं छोडती
क्योंकि माँ की आदत है
सपने देखना!

23 टिप्‍पणियां:

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  2. बहुत मर्मस्पर्शी रचना ...भीग गया मन

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  3. बहुत सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ शानदार रचना लिखा है आपने! बधाई!

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  4. बहुत खूब ... बच्चों के सोचने वाली बात है ये ... मान फिर भी मान रहती है ... सपने देखती है ...

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  5. माँ सपने देखती है, बार बार टूटते हैं
    बिखरते हैं सपने, पर माँ की आदत है सपने देखना,

    बहुत खूब लाइने लिख दी हैं आपने...

    क्या सीरत थी, क्या सूरत थी..
    पाँव छुए और बात बनी, अम्मा एक मुहूर्त थी...

    happy mothers day...

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  6. तभी तो है माँ का स्थान देवों से भी ऊपर!! तभी तो उसके कदमों में स्वर्ग है.. जिन्होंने माँ का तिरस्कार किया है उनकेलिए भी उस अबला के मुख से आशीष ही निकलते हैं..

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  7. बहुत सुंदर रचना. मात् दिवस कि शुभकामनाएँ

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  8. मातृ दिवस की बधाई ।बहुत सुन्दर भाव है आभार सहित…….

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  9. माँ को जो पसंद...सब न्यौछावर!!

    मातृ दिवस की शुभकामनाएँ...

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  10. इन सपनो मे वो बच्चों के जावन को बुनती है। मातृ दिवस पर सुन्दर भावमय रचना। बधाई।

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  11. बहुत मर्मस्पर्शी रचना
    मातृ दिवस की शुभकामनाएँ...

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  12. बहुत सच कहा है..माँ केवल माँ होती है इसलिए औलाद कैसी भी हो वह सपने देखना नहीं छोडती...बहुत ही भावपूर्ण और मर्मस्पर्शी रचना..

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  13. माँ पर बहुत ही खूबसूरत पंक्तियाँ..
    "और वो
    उस सपने को पलकों में लिए
    तय करती है
    लंबा और कठिन सफ़र "
    गंभीर विचारों को बड़ी ही खूबसूरती से पिरोया है...शुभकामनाएं||

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  14. एहसास की सुन्दर अभिव्यक्ति है। मातृ दिवस की बधाई

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  15. kyonki maa hamesha apne sanskaro par bharosha karti hai tabhi aas lagaye rahti hai ,ye bachche samjhe to na .ati uttam rachna .

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  16. bahut khub....aaj ke waqt ka sach...par maa ka dil is bat ko kabhi sweekar nahi karta...umeedo se bhari har maa ki likhni ko shabdo ka roop diya aapne.....sach mei bahut khub likha hai


    सपनो में बुनी है उसने
    एक छोटी सी दुनिया
    जहाँ एक राजा संग
    रानी है और है उसका
    दुलारा राजकुमार
    जो आएगा ...उसका बन के
    अस्तित्व और
    अपनी सर आँखों पे बिठाएगा
    हां .हां .हर माँ सपना बुनती है .................(अंजु ....अनु)

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  17. माँ सपने देखती है, बार बार टूटते हैं
    बिखरते हैं सपने, पर माँ की आदत है सपने देखना,
    nam ho gayi aankhe bahut sundar rachna ,main pahle tippani kar gayi rahi aaj nai rachna dekhne aai rahi magar apni tippani ko nahi payi to doobara kar di .

    जवाब देंहटाएं

NILESH MATHUR

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