आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है कल (2-5-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
Sir, Aapki ye kavita jharkhand me chal rahe atikarman se ujde logon par bahut satik baithti hai...pichhle dinon me DHANBAADme logon ne apne gharonde ko bachaane ke kram me kitne round goli ka saamna kiya aur chaar logon mi maut ho gayi...pichhle 40 salon se logon ne jo apna gharonda banaya tha (sahi ya galat) Jharkhand sarkar ne safai ka man bana liya hai...
आपकी कविता वटवृक्ष में पढी, आपका ब्लॉग देखा, बहुत अच्छा लगा , दिल्ली हिन्दी भवन में ब्लॉगर्स सम्मेलन में भी आपकी चर्चा सुनी । बधाई स्वीकारें......
अब क्या कहें सफाई तो अब होगी ही और सबसे पहले घौसला ही बहार जायेगा ...ये तो कटु सत्य है तभी तो आपने इतनी मार्मिक रचना को रचा है , गर घौसला वही रहता तो न आप लिखते न में पढता ,,....आज लम्बे अरसे बाद आपके ब्लॉग तक आना हुआ बहुत सी कवितायेँ पढी एक से एक बेहतर वैसे आपके लेखन की तारीफ़ में कुछ कहना बहुत कठिन होता है हमेशा ..शब्द ही नहीं मिलते
कम शब्दों में गहरी बात :)
जवाब देंहटाएंआपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (2-5-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
ye khayal thoda taal hee denge aisaa vishvas hai jee .
जवाब देंहटाएंsunder rachana....
sundar rachana...hridayasparshi
जवाब देंहटाएंओह!! थोड़ा संभाल कर सफाई कर लिजियेगा...
जवाब देंहटाएंare rukiye ... khyaal ko uske gharaunde mein sapnane dijiye
जवाब देंहटाएंओह , उस घरोंदे को छोड़ कर सफाई कीजियेगा ... गहन अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंSir,
जवाब देंहटाएंAapki ye kavita jharkhand me chal rahe atikarman
se ujde logon par bahut satik baithti hai...pichhle dinon me DHANBAADme logon ne apne gharonde ko bachaane ke kram me kitne round goli ka saamna kiya aur chaar logon mi maut ho gayi...pichhle 40 salon se logon ne jo apna gharonda banaya tha (sahi ya galat) Jharkhand sarkar ne safai ka man bana liya hai...
bahut sundar kavita.
खुबसूरत अहसास और उनकी अभिव्यक्ति, बधाई .....
जवाब देंहटाएंसर जी कुछ दिनों के लिए सफाई का कार्यक्रम स्थगित कर दिजीए।
जवाब देंहटाएंसुंदर भावयुक्त कविता !
जवाब देंहटाएंसफाई जरुरी नहीं थी यार मेरे
जवाब देंहटाएंआशियाँ बस तो जाने देते !
घोसले भी बढ़ाते हैं घरोंदे की खूबसूरती...
जवाब देंहटाएंखुबसूरत अहसास........ सुन्दर अभिव्यक्ति.........
बहुत संवेदनशील हो नीलेश ! वे लोग खुशकिस्मत हैं जहाँ आप हैं ! शुभकामनायें आपको !!
जवाब देंहटाएंआप सभी का आभार!
जवाब देंहटाएंsunder rachna... very nice...
जवाब देंहटाएंHow touching ...
जवाब देंहटाएंआपकी कविता वटवृक्ष में पढी, आपका ब्लॉग देखा, बहुत अच्छा लगा , दिल्ली हिन्दी भवन में ब्लॉगर्स सम्मेलन में भी आपकी चर्चा सुनी । बधाई स्वीकारें......
जवाब देंहटाएंअब क्या कहें सफाई तो अब होगी ही और सबसे पहले घौसला ही बहार जायेगा ...ये तो कटु सत्य है
जवाब देंहटाएंतभी तो आपने इतनी मार्मिक रचना को रचा है , गर घौसला वही रहता तो न आप लिखते न में पढता ,,....आज लम्बे अरसे बाद आपके ब्लॉग तक आना हुआ बहुत सी कवितायेँ पढी एक से एक बेहतर वैसे आपके लेखन की तारीफ़ में कुछ कहना बहुत कठिन होता है हमेशा ..शब्द ही नहीं मिलते
utkrasth rachnayein hai sabhi...................
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