संध्या गुप्ता जी की कविता "चुप नहीं रह सकता आदमी" से प्रेरित हो कर ये रचना लिखी है........
सिर्फ फुसफुसाहट है यहाँ
निशब्द घोर सन्नाटा
क्या मर चुके हैं शब्द
या जुबां कट चुकी है
क्यों है मौन पसरा हुआ
क्या मर चुका है विरोध
या संवेदनाओं ने
दम तोड़ दिया?
बहुत से गहरे एहसास लिए है आपकी रचना ...
जवाब देंहटाएंsahi kaha jaane kyun virodh ab bas berojgaaron ka munh taakta hai ham padhe likhe sirf apne ghar me baihe hain news dekhte hai do chaar gaaliyan dete hain sarkaar ko newswaalon ko bas hamara kartavya poora hua...bahut achchi aur sachchi kavita likhi aapne...
जवाब देंहटाएंएक द्वन्द से भरी रचना.....खूबसूरत
जवाब देंहटाएंजी हाँ लगता तो यही है कि संवेदनाओं ने दम तोड़ दिया है क्योकि वेदना अपने चरम की ओर बढ़ती नज़र आ रही है
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
bahut sundar!
जवाब देंहटाएंसंवेदनाओं ने
जवाब देंहटाएंदम तोड़ दिया? ...सुन्दर रचना.
Har khamoshi ke baad , ek halchal nishchit hai
जवाब देंहटाएंजज्बातों को बहुत सुंदर ढंग से आपने शब्दों में पिरो दिया। बधाई।
जवाब देंहटाएंशब्द मर नहीं सकते, उन्होंने आपके भावों को एक सार्थक अभिव्यक्ति प्रदान कर दी है।
क्या हमें ब्लॉग संरक्षक की ज़रूरत है?
नारीवाद के विरोध में खाप पंचायतों का वैज्ञानिक अस्त्र।
जब डर और आतंक का चारों तरफ बोलबाला हो तो ऐसा ही होगा / ये सारा बुरा हाल हमलोगों के एकजुट होकर नहीं लड़ने की वजह से है / उम्दा कविता / हम चाहते हैं की इंसानियत की मुहीम में आप भी अपना योगदान दें / पढ़ें इस पोस्ट को और हर संभव अपनी तरफ से प्रयास करें http://honestyprojectrealdemocracy.blogspot.com/2010/05/blog-post_20.html
जवाब देंहटाएंआवारा बादल, क्या खूब बरसता है जनाब।
जवाब देंहटाएंबहुत से गहरे एहसास लिए है आपकी रचना ...
जवाब देंहटाएंAapki kavita ne abhibhut kiya.manushya ki yah chuppi atmghati hai.hardik badhai.
जवाब देंहटाएंबहुत ही ख़ूबसूरत और लाजवाब रचना! बधाई!
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंशब्दों की खूबसूरत अभिव्यक्ति...बधाई.
जवाब देंहटाएं________________________
'शब्द-शिखर' पर ब्लागिंग का 'जलजला'..जरा सोचिये !!
संवेदना को कुचल दिया गया है, अउर बिरोध का स्वर निकालने के पहले अपना छोटा-छोटा बच्चा का सूरत याद आ जाता है, बुढा मान बाप देखाई देता है, कुंवारी बहन नजर आती है.. ऐसन हालत में मुंह से आवाजे निकल जाता है एही बहुत है..
जवाब देंहटाएंआपका कविता एक सवाल पूछता है व्यवस्था से.. इसलिए हमको टच किया है.. बहुत अच्छे!!
chup hoon, tum ye nahin samajhna
जवाब देंहटाएंmain kuch bol nahin sakta hoon....
Aapki rachna achchi lagi....
यह पोस्ट चर्चा मंच पर देखिये
जवाब देंहटाएंhttp://charchamanch.blogspot.com/2010/05/163.html
कविता अच्छी है
जवाब देंहटाएंhttp://madhavrai.blogspot.com/