गुरुवार, 20 मई 2010

क्या मर चुके हैं शब्द?

संध्या गुप्ता जी की कविता "चुप नहीं रह सकता आदमी" से प्रेरित हो कर ये रचना लिखी है........


सिर्फ फुसफुसाहट है यहाँ


निशब्द घोर सन्नाटा


क्या मर चुके हैं शब्द


या जुबां कट चुकी है


क्यों है मौन पसरा हुआ


क्या मर चुका है विरोध


या संवेदनाओं ने 


दम तोड़ दिया?

19 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत से गहरे एहसास लिए है आपकी रचना ...

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  2. sahi kaha jaane kyun virodh ab bas berojgaaron ka munh taakta hai ham padhe likhe sirf apne ghar me baihe hain news dekhte hai do chaar gaaliyan dete hain sarkaar ko newswaalon ko bas hamara kartavya poora hua...bahut achchi aur sachchi kavita likhi aapne...

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  3. जी हाँ लगता तो यही है कि संवेदनाओं ने दम तोड़ दिया है क्योकि वेदना अपने चरम की ओर बढ़ती नज़र आ रही है
    सुन्दर रचना

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  4. संवेदनाओं ने


    दम तोड़ दिया? ...सुन्दर रचना.

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  5. जज्बातों को बहुत सुंदर ढंग से आपने शब्दों में पिरो दिया। बधाई।
    शब्द मर नहीं सकते, उन्होंने आपके भावों को एक सार्थक अभिव्यक्ति प्रदान कर दी है।
    क्या हमें ब्लॉग संरक्षक की ज़रूरत है?
    नारीवाद के विरोध में खाप पंचायतों का वैज्ञानिक अस्त्र।

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  6. जब डर और आतंक का चारों तरफ बोलबाला हो तो ऐसा ही होगा / ये सारा बुरा हाल हमलोगों के एकजुट होकर नहीं लड़ने की वजह से है / उम्दा कविता / हम चाहते हैं की इंसानियत की मुहीम में आप भी अपना योगदान दें / पढ़ें इस पोस्ट को और हर संभव अपनी तरफ से प्रयास करें http://honestyprojectrealdemocracy.blogspot.com/2010/05/blog-post_20.html

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  7. आवारा बादल, क्या खूब बरसता है जनाब।

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  8. बहुत से गहरे एहसास लिए है आपकी रचना ...

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  9. Aapki kavita ne abhibhut kiya.manushya ki yah chuppi atmghati hai.hardik badhai.

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  10. बहुत ही ख़ूबसूरत और लाजवाब रचना! बधाई!

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  11. शब्दों की खूबसूरत अभिव्यक्ति...बधाई.

    ________________________
    'शब्द-शिखर' पर ब्लागिंग का 'जलजला'..जरा सोचिये !!

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  12. संवेदना को कुचल दिया गया है, अउर बिरोध का स्वर निकालने के पहले अपना छोटा-छोटा बच्चा का सूरत याद आ जाता है, बुढा मान बाप देखाई देता है, कुंवारी बहन नजर आती है.. ऐसन हालत में मुंह से आवाजे निकल जाता है एही बहुत है..
    आपका कविता एक सवाल पूछता है व्यवस्था से.. इसलिए हमको टच किया है.. बहुत अच्छे!!

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  13. chup hoon, tum ye nahin samajhna
    main kuch bol nahin sakta hoon....

    Aapki rachna achchi lagi....

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  14. यह पोस्ट चर्चा मंच पर देखिये

    http://charchamanch.blogspot.com/2010/05/163.html

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  15. कविता अच्छी है

    http://madhavrai.blogspot.com/

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NILESH MATHUR

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