भाई निलेश जी , वन्दे! पहले तो ब्लाग का नाम बदलने की बधाई!भाई,आपको आवारगी इतनी भी क्या भाई कि ब्लाग का नाम बदलने की नोबत आई?आवारा बादल कहीँ भी बरस सकते हैँ।उन्हे नियंत्रित कर बंजर धरा पर बरसाना बहुत कठिन काम है।अब आप स्वघोषित आवारा बादल हैँ अतः कभी हमारे राजस्थान मेँ आ बरसना।धरा बहुत बंजर है यहां । आमीन !
नया नाम एकदम मस्त है जी, और आवारा बादल की कामना महान है। आपके ब्लॉग पर पहले भी आता रहा हूं, तस्वीरें बहुत अच्छी हैं। तस्वीरें भी बहुत अच्छी हैं, ये कहना ठीक रहेगा।
अब ई आवारगिए त है कि बिना बरसे चल जाते हैं, किसान ताकते रह जाता है कि अल्ला मेघ दे!! एगो मसहूर सायर का सायरी ठोकते हैं गरज बरस प्यासी धरती को, फिर पानी दे मौला चिड़ियों को दाना, बच्चों को गुड़्धानी दे मौल.. अपका भी कबिता बहुत बढिया है..
वाह! नीलेश, ये तो एक सुन्दर अगीत है। अगीत -अतुकान्त कविता की एक विशिष्ट विधा है, जो सन्क्षिप्तता व तीब्र भाव सम्प्रेषणता के साथ, ५ से १० पन्क्तियों मे सिमटी रहती है।---बधाई.
वाह क्या बात लिखी है
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
छोटा है पर असरदार है... सुन्दर भाव...
जवाब देंहटाएंaise hi samarpit bhav chahiye Neelesh ji.. naam naya achchha laga.
जवाब देंहटाएंभाई निलेश जी ,
जवाब देंहटाएंवन्दे!
पहले तो ब्लाग का नाम बदलने की बधाई!भाई,आपको आवारगी इतनी भी क्या भाई कि ब्लाग का नाम बदलने की नोबत आई?आवारा बादल कहीँ भी बरस सकते हैँ।उन्हे नियंत्रित कर बंजर धरा पर बरसाना बहुत कठिन काम है।अब आप स्वघोषित आवारा बादल हैँ अतः कभी हमारे राजस्थान मेँ आ बरसना।धरा बहुत बंजर है यहां । आमीन !
नया नाम एकदम मस्त है जी, और आवारा बादल की कामना महान है। आपके ब्लॉग पर पहले भी आता रहा हूं, तस्वीरें बहुत अच्छी हैं।
जवाब देंहटाएंतस्वीरें भी बहुत अच्छी हैं, ये कहना ठीक रहेगा।
नये नामकरण पर बधाई, नाम catchy है। जमेगा।
बरसे तो बात बने...बढ़िया.
जवाब देंहटाएंwaqy me bahut khub
जवाब देंहटाएंbahut bahut badhai
shekhar kumawat
हमेशा की तरह आपकी रचना जानदार और शानदार है।
जवाब देंहटाएंShort and sweet.
जवाब देंहटाएंAsha
ati sunder .
जवाब देंहटाएंaisa hi ho....
जवाब देंहटाएंrachna sundar lagi
जवाब देंहटाएंअब ई आवारगिए त है कि बिना बरसे चल जाते हैं, किसान ताकते रह जाता है कि अल्ला मेघ दे!! एगो मसहूर सायर का सायरी ठोकते हैं
जवाब देंहटाएंगरज बरस प्यासी धरती को, फिर पानी दे मौला
चिड़ियों को दाना, बच्चों को गुड़्धानी दे मौल..
अपका भी कबिता बहुत बढिया है..
कम शब्दों में ..गज़ब की बात ,...शानदार
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंवाह! नीलेश, ये तो एक सुन्दर अगीत है। अगीत -अतुकान्त कविता की एक विशिष्ट विधा है, जो सन्क्षिप्तता व तीब्र भाव सम्प्रेषणता के साथ, ५ से १० पन्क्तियों मे सिमटी रहती है।---बधाई.
जवाब देंहटाएंसुन्दर कवितायें बार-बार पढने पर मजबूर कर देती हैं. आपकी कवितायें उन्ही सुन्दर कविताओं में हैं.
जवाब देंहटाएंgagar mein sagar .
जवाब देंहटाएंgahre insan hi sagar ki tah se bhaav or shabd utha ke late hai
bandhaii swikaren