आवारा बादल हूँ मैं, कभी यहाँ तो कभी वहाँ, भटकना ही तो फितरत है मेरी.....
शुक्रवार, 4 नवंबर 2011
पहली किरण
चाहता हूँ कि सूर्य की पहली किरण बन
तुम्हारे घर के आँगन में आऊं,
और जाड़े की एक ठंडी सुबह
तुम्हे जी भर के
अपनी किरणों से नहलाऊं, और तुम सराबोर हो कर सुनहरी किरणों के सौन्दर्य से फूलों की तरह खिल उठो और एक सदी तक महकती रहो, और मैं सदी के अंत तक तुम्हें अपनी किरणों से नहलाता रहूँ ।
bahut hi bhawanaon se bhari bemisaal rachanaa bahut badhaai aapko. मुझे ये बताते हुए बड़ी ख़ुशी हो रही है , की आपकी पोस्ट आज की ब्लोगर्स मीट वीकली (१६)के मंच पर प्रस्तुत की गई है /आप हिंदी की सेवा इसी तरह करते रहें यही कामना है /आपका ब्लोगर्स मीट वीकली के मंच पर स्वागत है /आइये और अपने विचारों से हमें अवगत करिए / जरुर पधारें /
बहुत ही खुबसूरत आरजू है.....
जवाब देंहटाएंसुंदर अभिव्यक्ति बधाई
जवाब देंहटाएंbahut pyaari khwahish
जवाब देंहटाएंप्यारी रचना....
जवाब देंहटाएंसादर बधाई....
behtreen prstuti....
जवाब देंहटाएंबहुत ही प्यारी सी कोमल सी रचना ! बहुत सुन्दर !
जवाब देंहटाएंइस लाजवाब रचना के लिए बधाई स्वीकारें
जवाब देंहटाएंनीरज
क्या कहने,
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
बहुत खूब ,,,,,
जवाब देंहटाएंनिलेश जी आप की रचनाये छूती हैं ....
हमेशा की तरह एक अच्छी रचना ....
बहुत सुन्दर आरजू... भाव
जवाब देंहटाएंप्यारी सुंदर मनमोहक रचना अच्छी प्रस्तुति..बधाई
जवाब देंहटाएंमेरे नए पोस्ट में स्वागत है ...
खूबसूरत तमन्ना...
जवाब देंहटाएंबहुत भाव भरी पंक्तियाँ,सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंbahut hi bhawanaon se bhari bemisaal rachanaa bahut badhaai aapko.
जवाब देंहटाएंमुझे ये बताते हुए बड़ी ख़ुशी हो रही है , की आपकी पोस्ट आज की ब्लोगर्स मीट वीकली (१६)के मंच पर प्रस्तुत की गई है /आप हिंदी की सेवा इसी तरह करते रहें यही कामना है /आपका
ब्लोगर्स मीट वीकली के मंच पर स्वागत है /आइये और अपने विचारों से हमें अवगत करिए / जरुर पधारें /
बहुत खूब ...प्रेम की पराकाष्ठा है ... जबरदस्त भाव ...
जवाब देंहटाएंbahut khub......umdaa
जवाब देंहटाएंचाहता हूँ कि
जवाब देंहटाएंसूर्य की पहली किरण बन
तुम्हारे घर के
आँगन में आऊं,
bdi achchi chaht hai.