ये पर्वत ये झरने
ये पेड़ पौधे ये पक्षी
सभी मुझे
अपने से लगते हैं,
जब नजदीक जाता हूँ इनके
नाम ले ले कर मेरा
पुकारते हैं सभी
और स्नेह की वर्षा
करते हैं मुझ पर
और मैं भावुक हो कर
भीगता हूँ इनकी स्नेहवर्षा मे
जब भी उदास होता हूँ
तो हवा के झोंके
थपकियाँ देते हैं
और सभी पक्षी मिलकर
मेरे लिए
खुशियों के गीत गाते हैं
और तब मैं
भावविभोर हो उठता हूँ
कृतज्ञ हूँ ईश्वर का
जिसने हमें
इतना कुछ दिया जीने को।
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जवाब देंहटाएंbahut khubsoorat panktiyan....
जवाब देंहटाएंप्रकृति की यह देन हैं| सुंदर भावाव्यक्ति , बधाई
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति........
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर !
जवाब देंहटाएंयह कवि ह्रदय है ...
जवाब देंहटाएंबधाई नीलेश भाई !