कल फिर शहर बंद रहेगा
दंगों के विरोध मे
रैली और धरना होगा
कुछ खद्दरधारी भाषण देंगे
और फिर अगले दिन
जनजीवन सामान्य होगा,
यूँ ही
मृतकों के परिजन रोते रहेंगे
दंगे और विरोध प्रदर्शन होते रहेंगे,
यूँ ही
हमारी सरकार
कान मे रुई डालकर सोती रहेगी,
ना जाने कब
ये सरकार जागेगी
और शहर मे अमन चैन होगा,
ना जाने कब
दंगों का ये सिलसिला थमेगा,
ना जाने कब
ये आँसू थमेंगे
और ये शहर फिर से हँसेगा,
ना जाने कब
ये काली रात बीतेगी
और एक नयी सुबह होगी,
ना जाने कब .......
दंगे
जवाब देंहटाएंसरकार के चेहरे पर
बदनुमा धब्बे होते हैं
यह अलग बात है
इन धब्बों से ही
सरकार बनाने का सपना
पूरा होता है।
कोकराझार के निवासी किस दहशत में जी रहे हैं, उस दर्द को बयां करती मार्मिक रचना..
जवाब देंहटाएंjante hum sab hai...sunte hai aur bass sahanbhuti jata lete hain...yahi dukh hai kar kuch nahi patee.....marmik rachna
जवाब देंहटाएंना जाने कब
जवाब देंहटाएंये काली रात बीतेगी
और एक नयी सुबह होगी,
ना जाने कब .......
...dange fasad karne waale kash yah baat samjh paate..
bahut marmsparshi rachna ..aabhar!
ना जाने कब तक ....
जवाब देंहटाएंबहुत खूब !