सूर्य की पहली किरण
वो
सूर्य की पहली किरण बन
मेरे घर के आँगन में आए
और जाड़े की एक ठंडी सुबह
मुझे जी भर के
अपनी किरणों से नहलाया ,
और मैं
सुनहरी किरणों के
सौन्दर्य से सराबोर हो कर
फूलों की तरह खिल उठा
और शायद अब
इन्ही फूलों की तरह
महकता रहूँगा एक सदी तक ।
sunder samarpit bhaav .. ...
जवाब देंहटाएंवाकई ....
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें भैया !
bahut sundar bhaav ukerti prastuti.
जवाब देंहटाएं.
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूबसूरत , सादर.
कृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधार कर अपना स्नेहाशीष प्रदान करें
अहसास कुछ ऐसे ही होतें हैं ..ता-उम्र साथ रहते हैं ...
जवाब देंहटाएंआमीन
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी...
जवाब देंहटाएंमुबारक हो !
जवाब देंहटाएंकल 17/01/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
बहुत सुन्दर..
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूबसूरत ,
जवाब देंहटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सच कहा है आपने प्रत्येक पंक्ति में ..आभार इस बेहतरीन प्रस्तुति के लिये ।
जवाब देंहटाएंखूबसूरत सोच ..
जवाब देंहटाएंsundar bhav,sundar rachana...
जवाब देंहटाएंSundar rachna ....
जवाब देंहटाएंमेरे भी ब्लॉग में पधारें और मेरी रचना देखें |
मेरी कविता:वो एक ख्वाब था