आवारा बादल हूँ मैं, कभी यहाँ तो कभी वहाँ, भटकना ही तो फितरत है मेरी.....
बहुत खूब...अति सुन्दर..
प्रेरक और सुंदर अभिव्यक्ति..
alg tarh ki rachna....bahut hi acha likha aap ne....bdhai sweekaren....
बहुत उम्दा ये प्रकति अपने आने वालो का हर पल इंतज़ार करती हैं ....
bahut sunder abhivyaktishubhkamnayen
आशा ही जीवन है ...शुभकामनायें भैया !
wah sweekar hi karta hai...
सच्ची अभिव्यक्ति.
बहुत अच्छी अभिव्यक्ति ।
तथास्तु.आपकी इच्छा जरूर पूर्ण होगी निलेश जी.सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.मेरे ब्लॉग पर आईयेगा जी.
बहुत सुंदर प्रस्तुति । मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
ध्यान की याद बनी है तो भीतर ध्यान है ही...शुभकामनायें!
'वह' कहाँ किसी को अस्वीकार करता है...सुन्दर अभिव्यक्ति...
कर्मठ को सब स्वीकार करते हैं ..
सच्चे को कौन अस्वीकर करता है! बहुत अलग सी मगर सुंदर लघु कविता।
sundar abhivyakti...
मैं फिर से लौट कर आऊँगा बहुत सुन्दर
बहुत सुंदर रचना, बेहतरीन पोस्ट....अच्छी लगी
हाँ कहते हैं कि वह बड़ा ही दयालु है.. ज़रूर वापस अपनी क्षत्र-छाया में ले लेगा सभी वनवासियों को..
इस कविता के माध्यम से कितनी ही सरलता और सौम्यता के साथ जो आपने सन्देश दिया है, वो बहुत ही प्रशंशनीय है...वटवृक्ष के लिंक से पहली बार आना हुआ.. बहुत धन्यवाद..
बहुत खूब...
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर..
प्रेरक और सुंदर अभिव्यक्ति..
जवाब देंहटाएंalg tarh ki rachna....bahut hi acha likha aap ne....bdhai sweekaren....
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा
जवाब देंहटाएंये प्रकति अपने आने वालो का हर पल इंतज़ार करती हैं ....
bahut sunder abhivyakti
जवाब देंहटाएंshubhkamnayen
आशा ही जीवन है ...
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें भैया !
wah sweekar hi karta hai...
जवाब देंहटाएंसच्ची अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंतथास्तु.
जवाब देंहटाएंआपकी इच्छा जरूर पूर्ण होगी निलेश जी.
सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.
मेरे ब्लॉग पर आईयेगा जी.
बहुत सुंदर प्रस्तुति । मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंध्यान की याद बनी है तो भीतर ध्यान है ही...शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएं'वह' कहाँ किसी को अस्वीकार करता है...
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति...
कर्मठ को सब स्वीकार करते हैं ..
जवाब देंहटाएंसच्चे को कौन अस्वीकर करता है! बहुत अलग सी मगर सुंदर लघु कविता।
जवाब देंहटाएंsundar abhivyakti...
जवाब देंहटाएंमैं फिर से लौट कर आऊँगा
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
बहुत सुंदर रचना, बेहतरीन पोस्ट....अच्छी लगी
जवाब देंहटाएंहाँ कहते हैं कि वह बड़ा ही दयालु है.. ज़रूर वापस अपनी क्षत्र-छाया में ले लेगा सभी वनवासियों को..
जवाब देंहटाएंइस कविता के माध्यम से कितनी ही सरलता और सौम्यता के साथ जो आपने सन्देश दिया है, वो बहुत ही प्रशंशनीय है...
जवाब देंहटाएंवटवृक्ष के लिंक से पहली बार आना हुआ.. बहुत धन्यवाद..