अंतर को चीरता हुआ
निशब्द
घोर सन्नाटा,
तन और मन को
जैसे
बर्फ की सफ़ेद चादर ने
ढक लिया हो ,
ठिठुरते हुए विचार
झांकते हैं
हटा कर
बर्फ की चादर,
और करते हैं
इंतज़ार
धूप के निकलने का,
जब सूर्य की
पहली किरण
के साथ
कोई आएगा
और इस तन्हाई को
दूर करेगा ,
तब फिर से
तन और मन
धूप में बैठ कर
गुनगुनाएँगे
और ज़श्न मनाएंगे!
बहुत भावपूर्ण!!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया,
जवाब देंहटाएंआपके लेखन ने इसे जानदार और शानदार बना दिया है....
बेशक बहुत सुन्दर लिखा और सचित्र रचना ने उसको और खूबसूरत बना दिया है.
जवाब देंहटाएंकोई आएगा
जवाब देंहटाएंऔर इस तन्हाई को
दूर करेगा ,
तब फिर से
तन और मन
धूप में बैठ कर
गुनगुनाएँगे
और ज़श्न मनाएंगे!
अशा ही जीवन है। शुभकामनायें।
सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंठिठुरते हुए विचार
जवाब देंहटाएंझांकते हैं
हटा कर
बर्फ की चादर,
aur dekhte hain suraj aaya ki nahin ... bahut khoob
वाह ……………क्या बात है सकारात्मक सोच का परिचायक्।
जवाब देंहटाएंजब ठिठुरते हुए विचार भी नहीं रहेंगे आने वाला तभी आयेगा जब तक विचार है निशब्द कहाँ और जब तक सन्नाटा पूर्ण नहीं वह नहीं आता !
जवाब देंहटाएंठिठुरते हुए विचार
जवाब देंहटाएंझांकते हैं
हटा कर
बर्फ की चादर
और करते हैं
इंतज़ार
धूप के निकलने का
कविता के प्रतीक बिल्कुल नए हैं जो कविता की सम्प्रेषणीयता में वृद्धि कर रहे हैं।
इस उत्तम रचना के लिए बधाई।
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (28-2-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
बहुत भावपूर्ण सुन्दर रचना..
जवाब देंहटाएंpar ye intajaar aakhir kab tak.....
जवाब देंहटाएंजब सूर्य की
जवाब देंहटाएंपहली किरण
के साथ
कोई आएगा
और इस तन्हाई को
दूर करेगा ,....
सुन्दर और भावपूर्ण पंक्तियां ...... बधाई।
ठिठुरते हुए विचार
जवाब देंहटाएंझांकते हैं
हटा कर
बर्फ की चादर......
वाह..क्या खूब ...
सुन्दर और भावपूर्ण पंक्तियां ...... बधाई।
जवाब देंहटाएंकल 13/09/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
भावमय करते शब्दों के साथ बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही गहनाभिब्यक्ति के साथ लिखी शानदार रचना बधाई आपको /
जवाब देंहटाएंplease visit my blog
www.prernaargal.blogspot.com
अच्छी प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंबहुत गहन भाव और प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआशा
तन और मन
जवाब देंहटाएंधूप में बैठ कर
गुनगुनाएँगे
और ज़श्न मनाएंगे!
सुन्दर ख़याल...
सादर..
bhaavpurn rachna....
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