आवारा बादल हूँ मैं, कभी यहाँ तो कभी वहाँ, भटकना ही तो फितरत है मेरी.....
रविवार, 18 अक्तूबर 2009
शब्द
हर बात
शब्दों में बयां नहीं होती
कुछ दर्द
शब्दों से परे होता हैं
कुछ खुशियाँ भी
शब्दों में नहीं समाती
शब्द तो सिर्फ माध्यम है
रोज़मर्रा कि बातें कहने का!
chhayein hon bhaw ki badliyan ghtatop
जवाब देंहटाएंnachtey hain shabd jaisey nachtein hain mor
hmm,... acchi rachnaa....
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