आवारा बादल
आवारा बादल हूँ मैं, कभी यहाँ तो कभी वहाँ, भटकना ही तो फितरत है मेरी.....
शनिवार, 5 जनवरी 2013
गज़ल
हथौड़ी और छेनी की टंकार
है संगीत उनके लिए
और हम हाथों मे जाम लिए
गज़ल सुनते हैं।
2 टिप्पणियां:
Kailash Sharma
5 जनवरी 2013 को 10:13 pm बजे
बहुत खूब!
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Anita
6 जनवरी 2013 को 5:36 pm बजे
श्रम की जय हो..
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बहुत खूब!
जवाब देंहटाएंश्रम की जय हो..
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