रविवार, 18 अक्टूबर 2009

शब्द

हर बात
शब्दों में बयां नहीं होती
कुछ दर्द
शब्दों से परे होता हैं
कुछ खुशियाँ भी
शब्दों में नहीं समाती
शब्द तो सिर्फ माध्यम है
रोज़मर्रा कि बातें कहने का!

2 टिप्‍पणियां:

NILESH MATHUR

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