रविवार, 10 मई 2015

माँ



ऐ मेरे खुदा 
माँ के बालों की सफेदी मुझे अच्छी नहीं लगती
उसके चेहरे की झुर्रियाँ मिटा दे
उसका हर ग़म दे दे मुझे 
उसके चेहरे पे मुस्कुराहट सजा दे,
उसी की दुआओं का असर है 
कि गिर गिर के सम्हल जाता हूँ हर बार
जानता हूँ हर वक़्त मेरी फिक्र रहती है उसे,
ऐ मेरे ख़ुदा 
अपनी हर तकलीफ छुपाती है वो 
ज़रूरत होने पर भी कुछ नहीं मांगती 
मुझे बस इतना दे दे 
कि उसकी हर अधूरी खवाहिश को पूरा कर दूँ,
ताउम्र दूर रखा तूने मुझे 
अब जल्द मेरी माँ से मिला दे मुझे। 

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NILESH MATHUR

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