आवारा बादल हूँ मैं, कभी यहाँ तो कभी वहाँ, भटकना ही तो फितरत है मेरी.....
गुरुवार, 16 जनवरी 2014
प्रेम क्या है?
प्रेम क्या है? धोखा, फरेब या वफ़ा है, या किसी कि रगों में बहता नशा है, ये महज़ एक खुबसूरत लफ्ज़ है या भावनाओ से खिलवाड़ करने का अचूक अस्त्र है, त्याग है बलिदान है या बहेलिये का जाल है, नहीं नहीं ये तो शायद ईश्वर का वरदान है।
वाह ! बहुत बढ़िया प्रस्तुति . आभार . नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं .
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