आवारा बादल हूँ मैं, कभी यहाँ तो कभी वहाँ, भटकना ही तो फितरत है मेरी.....
bahut hi gaharai liye hue saarthak rachanaa.badhaai aapko.
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
lovely ...
kya tulna ki hai... waah
किसी एहसास का हद से गुज़र जाना ....!!बहुत सुंदर रचना ..!!
सुन्दर शब्दों के साथ भावों का बेहतरीन संयोजन ...http://sanjaybhaskar.blogspot.com/
कई दिनों व्यस्त होने के कारण ब्लॉग पर नहीं आ सका
हां, ज़िंदगी उसी तरह की है जैसा आपने लिखा है...कभी सर्द, कभी गर्म।
मेरे ब्लाग पर आपके आगमन का धन्यवाद ।आपको नाचीज का कहा कुछ अच्छा लगा, उसके लिए हार्दिक आभार आपका ब्लाग भी अच्छा लगा । बधाई
जीना इसी का नाम है ...सुन्दर अभिव्यक्ति..!!***punam***bas yun..hi..
नीलेश जी......बहुत प्यारी भावनाएं हैं इस कविता में.... जी रहा हूँदुनिया मेंकुछ इस तरह जैसे जाड़े की एक सर्द रात में किसी ने मेरा कम्बल मुझसे छीन लिया हो बहुत सुन्दर.... बहुत अभिनव.
जीना इसी का नाम है, --------------------------------------------क्या मानवता भी क्षेत्रवादी होती है ?बाबा का अनशन टुटा !
सुन्दर भाव सुन्दर अभिव्यक्ति ....
waha bahut khub....chhoti par bhavprun abhivykati
कल 06/09/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!
बहुत भावपूर्ण रचना |आशा
बेहतरीन भावमय प्रस्तुति ।
लाजवाब रचना...सादर...
bahut hi gaharai liye hue saarthak rachanaa.badhaai aapko.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंlovely ...
जवाब देंहटाएंkya tulna ki hai... waah
जवाब देंहटाएंकिसी एहसास का हद से गुज़र जाना ....!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना ..!!
सुन्दर शब्दों के साथ भावों का बेहतरीन संयोजन ...
जवाब देंहटाएंhttp://sanjaybhaskar.blogspot.com/
कई दिनों व्यस्त होने के कारण ब्लॉग पर नहीं आ सका
जवाब देंहटाएंहां, ज़िंदगी उसी तरह की है जैसा आपने लिखा है...कभी सर्द, कभी गर्म।
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लाग पर आपके आगमन का धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंआपको नाचीज का कहा कुछ अच्छा लगा, उसके लिए हार्दिक आभार
आपका ब्लाग भी अच्छा लगा । बधाई
जीना इसी का नाम है ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति..!!
***punam***
bas yun..hi..
नीलेश जी......
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारी भावनाएं हैं इस कविता में....
जी रहा हूँ
दुनिया में
कुछ इस तरह
जैसे जाड़े की
एक सर्द रात में
किसी ने
मेरा कम्बल
मुझसे छीन लिया हो
बहुत सुन्दर.... बहुत अभिनव.
जीना इसी का नाम है,
जवाब देंहटाएं--------------------------------------------
क्या मानवता भी क्षेत्रवादी होती है ?
बाबा का अनशन टुटा !
सुन्दर भाव सुन्दर अभिव्यक्ति ....
जवाब देंहटाएंwaha bahut khub....chhoti par bhavprun abhivykati
जवाब देंहटाएंकल 06/09/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
बहुत भावपूर्ण रचना |
जवाब देंहटाएंआशा
बेहतरीन भावमय प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंलाजवाब रचना...
जवाब देंहटाएंसादर...