शुक्रवार, 3 सितंबर 2010

महंगी मुस्कान

वो कहते हैं कि 
मुस्कान को सस्ती कर दो 
पर कहाँ से लाऊं 
मैं वो मुस्कान,


मेरी तो मुस्कान 
और भी महंगी होती जा रही है
सस्ते हो रहे हैं 
सिर्फ मेरे आंसू.....



23 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर और मार्मिक कविता है

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  2. आपको और आपके परिवार को कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ

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  3. आँसू और मुस्कान अन्योन्याश्रित हैं ।
    प्रशंसनीय अनुभव ।

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  4. शब्द शब्द दिल मे उतर गया …………………बढिया

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  5. aansoo ki baat chhodiye janaab.............aaj kal to insaan ki jaan se sasti cheez kuchh milti hi nahi is duniya ke baazaar me.

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  6. नीलेस भाई, आज दुनिया में मुस्कान बहुत रेयर होता जा रहा है... बस इंसान का ख़ून अऊर मजलूमों का आँसुए फ्री में मिल जाता है..इसीलिए डिमांड अऊर सप्लाई के हिसाब से मुस्कान महँगा अऊर आँसू सस्ता है!!!

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  7. nilesh ji
    vkt ka tkaja hai muskan beshk mhngi kriye pr aansu sste nhi kyo ki shj uplbdh ho jane wali cheez apna vjn kho deti hai our aansu to bhut keemti hote hai . agr jyada lge to maf kre mai apne shbd wapis le lungi .
    moun kvita bhit mukhrit hai .

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  8. बहुत सुन्दर और शानदार प्रस्तुती!
    शिक्षक दिवस की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें!

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  9. gagar mein sagar

    chand shabdo mein itni gahri baat
    vo bhi itne saral andaaj mein

    its really uniqe

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  10. थोड़े से लफ्जो में कितनी बड़ी बात कह दी आपने..

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  11. वह मुस्कान हम सब के भीतर छिपी है, जैसे फूल में खुशबू, उसे नहीं पाया तो सदगुरु से मिलना व्यर्थ ही होगा !

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  12. आपको एवं आपके परिवार को गणेश चतुर्थी की शुभकामनायें ! भगवान श्री गणेश आपको एवं आपके परिवार को सुख-स्मृद्धि प्रदान करें !

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NILESH MATHUR

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