हुश्न वाली ने
खंजर छुपा रखा था बगल मे
मुझे ज़िंदगी से
मौत ज्यादा खूबसूरत लगी।
एक हुश्न वाली से
तकरार मे बीत गयी जिंदगी
आ अब तो हुश्न ढल रहा है
थोड़ा प्यार करें।
तूने आँखों से
जो पिलाई होती
तो लोग आज मुझे
शराबी ना कहते।
हर खता के लिए
माफ करना मुझे
मैं होशो हवाश मे न था।
जुल्म ना कर
मुझ पर इतना ऐ खुदा
कि तुझ पर मेरा एतबार ना रहे।
हर खता के लिए
माफ करना मुझे
मैं होशो हवाश मे न था।
जुल्म ना कर
मुझ पर इतना ऐ खुदा
कि तुझ पर मेरा एतबार ना रहे।
रात गुजर गयी
हर बात गुजर गयी
लेकिन सुबह हुई
तो आइना भी शरमा रहा था।
मुझ पर एतबार ना कर
ऐ दोस्त
मैं ईमान बेचने की तैयारी मे हूँ।
रात इतनी लंबी थी
कि सुबह के इंतजार मे
ज़िंदगी बीत गयी।
ज़िंदगी को जी भर के
जी न सका तो क्या
कब्र मे जी भर के सोऊँगा।
ज़िंदगी ने दिये थे जो जख्म
सहलाता रहा
पीता रहा दर्द और जीता रहा।
सुन्दर क्षणिकाएं-
जवाब देंहटाएंआभार भाई निलेश-
बहुत सुन्दर मर्मस्पर्शी प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंमर्मस्पर्शी क्षणिकाएं-
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