क्षणिकाएँ .......
(1)
ज़िन्दगी ने दिए थे जो ज़ख्म
उन्हें सहलाता रहा
पीता रहा दर्द और जीता रहा
शुक्रिया उनका
जिन्होंने मरहम की
और उनका भी शुक्रिया
जिन्होंने मेरे ज़ख्मों को कुरेदा।
(2)
ऐ मेरे खुदा
हर ख़ता के लिए
माफ़ करना मुझे
मैं होशो हवाश में न था
जब मैंने ख़ता की।
(3)
हुश्न वाली ने
खंज़र छुपा रखा था बगल में
मुझे ज़िन्दगी से
मौत ज्यादा खूबसूरत लगी।
(4)
रात इतनी लम्बी हो गयी
कि सुबह के इंतज़ार में
ज़िन्दगी बीत गयी।
आपकी यह बेहतरीन रचना शुकरवार यानी 28/12/2012 को
जवाब देंहटाएंhttp://nayi-purani-halchal.blogspot.com पर लिंक की जाएगी…
इस संदर्भ में आप के सुझाव का स्वागत है।
सूचनार्थ,
जारी रहिये, बधाई !!
जवाब देंहटाएंbahut hi gahr jajbat hai......... behatarin.
जवाब देंहटाएंकुछ खूबसूरत क्षणिकायें...जीवन के यथार्थ को बयान करती हुईं..
जवाब देंहटाएंवाह बहुत खूब
जवाब देंहटाएंबेहतरीन अभिवयक्ति.....
जवाब देंहटाएंबेहतरीन क्षणिकाएं
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