child labour at fireworks factory |
हम दीपावली मनाएंगे
जिनके घरों में
चूल्हे भी नहीं जले
उन्हें शर्मशार करते हुए
घी के दीप जलाएँगे,
धमाकों की आवाज में
छुप जाएंगा रुदन उनका
रोशनी से जगमगाते शहर को,
आज फिर से
हम भूखे नंगों के बीच
नए कपडे पहन कर निकलेंगे
पटाखों के रूप में जलाएँगे,
कोई बिनब्याही बेटी का बाप
दहल जाएगा इनके धमाकों से
और कोई बच्चा
हसरत भरी निगाहों से
निहारेगा फुलझड़ियों को ,
आज फिर से
हम इन बुझे हुए चेहरों के बीच
दीप जलाएँगे
दीप जलाएँगे
और दीपावली मनाएंगे,
क्या ये दीप
The result of making fireworks |
रोशन कर पाएँगे?
क्या ये दीप
उन अन्धकार में डूबे घरों को
ज़रा सी रोशनी दिखाएँगे?
क्या ये दीप
हमारे अंतर के अन्धकार को
मिटा पाएंगे ?
क्या हम सचमुच
कभी रोशनी में नहाएँगे ?
मन व्यथित कर गयी यह कविता..बहुत ही कड़वे सच को सामने लाती हुई कविता है.
जवाब देंहटाएंगहरी बात कह दी आपने। नज़र आती हुये पर भी यकीं नहीं आता।
जवाब देंहटाएंएक तरफ भूखे नंगे
जवाब देंहटाएंजो चुन चुन अन्न खाएंगे
कूड़े के ढेरो पे बच्चे
अपना भविष्य बनाएँगे
..............कैसी दीवाली मनाएँगे?
.
जवाब देंहटाएंमार्मिक चित्रण !
.
shi khaa khin ghtaatop andhera to khin divali he aek maarmik rchnaa ke liyen bdhaayi ho.akhtar khan akela kota rajsthan
जवाब देंहटाएंबहुत मार्मिक सोचने पर मजबूर करती प्रस्तुति है ....धन्यवाद
जवाब देंहटाएंआपको सपरिवार प्रकाश पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ !!
उल्फ़त के दीप
सत्य सदा कटु होता है, हमसे जितना हो सके प्रेम से सहायता करें और खुशी खुशी त्यौहार मनाएं, गुरूजी ऐसा ही तो कहते हैं न !
जवाब देंहटाएंदीपावली के इस पावन पर्व पर ढेर सारी शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंसंवेदनशील कविता .... जवाब तो हमें नहीं मालूम, बस दुआ कर सकते है की सब बच्चा लोग सुरक्षित हो और ख़ुशी से दीपावली माने... बाकी तो साहब, दुनिया है ... बहुत कुछ होता है ..... शुभकामाए ही की जा सकती है और क्या ....
जवाब देंहटाएंise vidambana hi kah sakte hain.sarthak aur safal lekhan.
जवाब देंहटाएंdiwali ki shubhkamnayen ab kya doon?
vidambanaon ko saghanta se likha hai!
जवाब देंहटाएंshubhkamnayen!
क्या ये दीप
जवाब देंहटाएंहमारे अंतर के अन्धकार को
मिटा पाएंगे ?
क्या हम सचमुच
कभी रोशनी में नहाएँगे ?
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आपको और आपके परिवार को दीपावली की शुभकामनाएँ
..
कभी यहाँ भी आयें
http://prakashpankaj.wordpress.com
धमाकों की आवाज में
जवाब देंहटाएंछुप जाएंगा रुदन उनका
और वो भूखे पेट निहारेंगे
रोशनी से जगमगाते शहर को,
कोई बिनब्याही बेटी का बाप
दहल जाएगा इनके धमाकों से
और कोई बच्चा
हसरत भरी निगाहों से
निहारेगा फुलझड़ियों को ,
आज फिर से
हम इन बुझे हुए चेहरों के बीच
दीप जलाएँगे
और दीपावली मनाएंगे,
कमाल का लिखते हैं आप निलेश जी...
भावुक कर दिया रचना ने.
दीपावली की शुभकामनाओं सहित.
अँखों मे आँसू आ गये। निशब्द हूँ। आपको सपरिवार दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंदिवाली जैसे पावन पर्व पर भी शर्मनाक घटनाएँ होती हैं ।
जवाब देंहटाएंबल श्रम एक बाल शोषण है । अति निंदनीय ।
दिल को कचोटने वाली बात कही है भाई..लेकिन ऐसी तस्वीरें मत लगाया करो..
जवाब देंहटाएंवाकई मन व्यथित कर देने वाली बात है. खैर आपको दीवाली की शुभ कामनाये
जवाब देंहटाएंआप को सपरिवार दीपावली मंगलमय एवं शुभ हो!
जवाब देंहटाएंमैं आपके -शारीरिक स्वास्थ्य तथा खुशहाली की कामना करता हूँ
आज फिर से
जवाब देंहटाएंहम भूखे नंगों के बीच
नए कपडे पहन कर निकलेंगे
child labour at fireworks factory
और नोटों के बण्डल
पटाखों के रूप में जलाएँगे,
निलेश जी ,बहुत अच्छी कवितायेँ लिखने लगे हैं आप ...
सच्चाई से रूबरू करती नज़्म ....
माथुर जी , आपका ब्लॉग सुन्दर और सन्देश परक भी है . आपको पढ़ना बहुत अच्छा लगा . शुभकामना ............
जवाब देंहटाएंगहन चिंतन युक्त एक भावपूर्ण कृति. इसमें कड़वी सच्चाई भी है. अगर सब लोग समझ लें तो दीवाली को बिना किसी आडम्बर के मनाया जा सकेगा. प्रकाश विहीन बच्चों के जीवन में उजाला करने से बेहतर कोई दिवाली नहीं हो सकती.
जवाब देंहटाएंचलो मनाएं अगली दिवाली
जवाब देंहटाएंआतिशबाजी या पटाखों से नहीं
बल्कि बालश्रम मुक्ति से
और भी सुखमय होगी दिवाली !